केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (इंडिया) के रूप में कार्यरत डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया है. केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेशों में उनकी सेवाओं को तुरंत प्रभाव से समाप्त किया गया है. सुब्रमण्यन को क्यों हटाया गया है, इसे लेकर के अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है. हालांकि कुछ ऐसे कारण रहे हैं, जिन्हें हटाने का कारण माना जा रहा है.
कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी ने सुब्रमण्यन की सेवाओं को समाप्त करने का निर्णय लिया है. जारी आदेश में सुब्रमण्यम को हटाने का कोई कारण नहीं बताया गया है.
सुब्रमण्यन के तीन साल के कार्यकाल में सिर्फ छह महीने ही बचे थे, लेकिन उससे पहले ही सेवाएं समाप्त कर दी गई. कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी ने 30 अप्रैल 2025 से सुब्रमण्यन की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. सूत्रों के मुताबिक, सरकार जल्द ही आईएमएफ बोर्ड में उनके स्थान पर किसी और को नियुक्त करेगी.
आईएमएफ के डेटासेट पर उठाए थे सवाल
सूत्रों के अनुसार, सुब्रमण्यन ने आईएमएफ के डेटासेट पर सवाल उठाए थे. साथ ही उनकी नई किताब "इंडिया @ 100" के प्रचार-प्रसार से संबंधित "कथित अनियमितता" पर चिंता जताई गई थी.
सुब्रमण्यन को 1 नवंबर 2022 से तीन साल की अवधि के लिए आईएमएफ में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (इंडिया) के रूप में नियुक्त किया गया था. इससे पहले, उन्होंने सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था.
आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड सदस्य देशों या देशों के समूहों द्वारा चुने गए 25 निदेशकों (कार्यकारी निदेशकों या ईडी) से बना है.
भारत चार देशों के निर्वाचन क्षेत्र में है, जिसमें बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान सदस्य हैं.
(शिवम पांडे के इनपुट के साथ)