'सेंट्रल विस्टा में लैंड यूज बदलने के खिलाफ याचिकाकर्ता पर लगाएं जुर्माना, केस करें खारिज', SC में केंद्र का जवाब

याचिका में आरोप लगाया गया है कि भूमि उपयोग में अवैध परिवर्तन की अधिसूचना से दिल्ली के निवासियों को सामाजिक और मनोरंजक गतिविधियों के लिए उपलब्ध सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में अत्यधिक क़ीमती खुले और हरे भरे स्थान से वंचित कर दिया गया है. अब मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी.

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याचिका में सेंट्रल विस्टा के लिए लैंड यूज बदलने वाली अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

सेंट्रल विस्टा (Central Vista) में चिल्ड्रन रिक्रिएशनल पार्क और हरित क्षेत्र का लैंड यूज बदलने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल करते हुए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने और याचिका खारिज करने को कहा है. इसके बाद कोर्ट ने  याचिकाकर्ता राजीव सूरी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा  है. अब मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी.  

केंद्र ने कहा है कि उक्त प्लॉट नंबर 1 का क्षेत्र वर्तमान में सरकारी कार्यालयों के रूप में उपयोग किया जा रहा है और 90 सालों से ये रक्षा भूमि है. ये कोई मनोरंजक गतिविधि (पड़ोस खेल क्षेत्र) नहीं है. याचिका में उठाए गए सवाल पर केंद्र ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह स्थान आम जनता के लिए किसी भी सार्वजनिक मनोरंजन प्रयोजनों के लिए इसका उपयोग करने के लिए कभी भी खुला नहीं रहा है. उक्त क्षेत्र में कोई निवासी आबादी या आवासीय कॉलोनी नहीं है. 

अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि दिल्ली मास्टर प्लान-2001 में 'पड़ोस खेल क्षेत्र'- खेल सुविधा केवल तकनीकी रूप से मनोरंजनात्मक उपयोग क्षेत्र के अंतर्गत थी. इसलिए, इसे जोन 'डी'  में रखा गया था और अब MPD-2021 में मनोरंजनात्मक उपयोग क्षेत्र में 'पड़ोस खेल क्षेत्र' के रूप में कोई नामकरण नहीं है. हलफनामे में कहा गया है कि मनोरंजक उद्देश्यों के लिए कई क्षेत्रों को केंद्र द्वारा स्वतः संज्ञान में जोड़ा जा जाता रहा है.

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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से याचिका पर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता राजीव सूरी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सेंट्रल विस्टा के प्लॉट नंबर एक का इस्तेमाल रिक्रिएशनल सुविधाओं के लिए होना था लेकिन इसका इस्तेमाल आवासीय के लिए किया जा रहा है.

इसके जवाब में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वो तीन दिनों में इसका जवाब दाखिल कर देंगे और सरकार से निर्देश लेंगे. उन्होंने कहा कि उनका विचार है कि संसद का निर्माण चल रहा है, जिसमें राष्ट्रपति भवन और उपराष्ट्रपति भवन भी शामिल हैं. ऐसे में सुरक्षा क्षेत्र में रिक्रिएशनल एरिया संभव नहीं हो सकता है.

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याचिका में आरोप लगाया गया है कि भूमि उपयोग में अवैध परिवर्तन की अधिसूचना से दिल्ली के निवासियों को सामाजिक और मनोरंजक गतिविधियों के लिए उपलब्ध सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में अत्यधिक क़ीमती खुले और हरे भरे स्थान से वंचित कर दिया गया है.

सेंट्रल विस्टा परियोजना से मौजूदा इमारतों को ध्वस्त करने, विरासत भवनों को बदलने और संशोधित करने, प्रतिष्ठित इमारतों को ध्वस्त करने, 1960 के युग की ठोस इमारतों को बदलने, जिला पार्क और बच्चों के मनोरंजन पार्क के रूप में खुली जगहों पर कब्जा करने का प्रयास  किया गया है, जो भारत के सभी लोगों से संबंधित हैं. 

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याचिका में ऐसी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है जो भूमि उपयोग में परिवर्तन की अनुमति देती है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि दिल्ली के निवासियों के लिए एक स्वस्थ जीवन और पर्यावरण के परिणाम के रूप में मनोरंजक खुले स्थानों के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए.

केंद्र ने कहा कि सेंट्रल विस्टा के समग्र सार्वजनिक उद्देश्य और उसके पीछे समग्र दृष्टि पर विचार करते हुए मनोरंजन के उद्देश्य के लिए विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्रों में वृद्धि की है और कई सुविधाएं जोड़ी हैं. सेंट्रल विस्टा परियोजना, जो जनता के बड़े लाभ के लिए मौजूदा सुविधाओं के अलावा सार्वजनिक सुविधाएं होंगी. केंद्र परियोजनाओं की सार्वजनिक प्रकृति के बारे में जानता है. विशेष रूप से बड़ी दृष्टि योजना में विभिन्न सार्वजनिक सुविधाओं को जोड़ने की कोशिश की जा रही है. मनोरंजन के उद्देश्यों के लिए बहुत सारी जगह बनाई है, जिससे यहां मनोरंजन क्षेत्र में खासी बढ़ोतरी हुई है.

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