भारतीय कानूनों में होंगे बड़े बदलाव, अंग्रेजों के जमाने के कानून बदलेंगे

नए प्रवधान के तहत, पांच या अधिक लोग अगर भाषा, जाति लिंग, समुदाय, जन्मस्थान या आस्था आदि के आधार पर हत्या करते हैं तो कम से कम सात  साल या उम्रकैद या मौत की सजा और जुर्माना हो सकता है.

विज्ञापन
Read Time: 23 mins
कई ऐसे कानून हैं, जिनमें संसोधन होगा. वहीं, कई ऐसे नए कानून हैं जो लागू होंगे.
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने भारतीय कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है. भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव की तैयारी  पूरी कर ली गई है. ये प्रस्ताव करीब चार साल के मंथन के बाद पेश किया गया है. हालांकि, इसको लेकर 2019 में ही विचार शुरू हो गया था. जिसके बाद अंग्रेजों के जमाने का कानून अब बदलेगा. इसके तहत कई ऐसे कानून हैं, जिनमें संसोधन होगा. वहीं, कई ऐसे कानून हैं जो लागू होंगे. चलिए एक-एक करके इसके बारे में आपको बताते हैं.

इन कानूनों में होगा बदलाव 
-भारतीय दंड संहिता यानी IPC - 1860
-आपराधिक प्रक्रिया संहिता यानी CRPC -1882 
-भारतीय साक्ष्य अधिनियम - 1873 

ये कानून होंगे लागू
- भारतीय न्याय संहिता 2023, 
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 
- भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023

-IPC में थे - 23  अध्याय 
भारतीय न्याय संहिता, 2023 में होंगे - 19 अध्याय 

-IPC में थी - 511 धाराएं 
भारतीय न्याय संहिता में होंगी - 356 धाराएं 

क्या होंगे नए प्रावधान  
-हिट एंड रन - धारा 104 
- अगर दुर्घटना में किसी की मौत हो जाए 
- वाहन चालक मौके से फरार हो जाए 
- या घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट ना करे 
- तो दस साल तक की सजा और जुर्माना 

सड़क दुर्घटना में मौत - धारा 104
- सड़क दुर्घटना में कड़ा प्रावधान करने की तैयारी 
- लापरवाही से वाहन चलाने से मौत होने पर जेल जाना ही होगा 
- अब सात साल तक की सजा और जुर्माना  
- पहले दो साल तक की सजा या जुर्माने का प्रावधान था 

शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना - धारा 69
- शादी का झूठा वादा करके महिला से यौन संबंध बनाना अब अपराध 
- दस साल तक की सजा और जुर्माना

स्नैचिंग - धारा 302 
- स्नैचिंग या झपटमारी 
- अपराध की नई श्रेणी में परिभाषित किया गया है 
- धारा 302 के तहत   तीन साल तक का सजा और जुर्माना लगेगा 
- पहले इसे चोरी में रखा जाता था 

मॉब लिंचिंग - धारा 102 
- पांच या अधिक लोग अगर भाषा, जाति लिंग, समुदाय, जन्मस्थान या आस्था आदि के आधार पर हत्या करते हैं  तो कम से कम सात साल या उम्रकैद या मौत की सजा और जुर्माना हो सकता है 

संगठित अपराध- धारा 109
किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या ऐसे सिंडिकेट की ओर से अकेले या संयुक्त रूप से काम करने वाले  ग्रुप के लिए नया कानून 

Advertisement

- अपहरण, डकैती, वाहन चोरी, जबरन वसूली, जमीन पर कब्जा, कॉन्ट्रैक्ट पर हत्या, आर्थिक अपराध, गंभीर परिणाम वाले साइबर अपराध, लोगों की तस्करी, ड्रग्स, अवैध सामान या सेवाओं और हथियारों, मानव तस्करी रैकेट वेश्यावृत्ति या फिरौती
- उम्रकैद और कम से कम पांच लाख का जुर्माना 
- हत्या होने पर मौत की सजा या उम्रकैद और कम से कम पांच लाख का जुर्माना 
- आतंकवाद - धारा 111 
- भारत या विदेश में भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने की नीयत से आतंकवादी गतिविधियां 
- उम्रकैद से मौत की सजा तक का प्रावधान


ये हैं संशोधित हुए प्रावधान :
- राजद्रोह का नाम बदला 
- अब "भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य" नाम दिया गया 
- न्यूनतम सजा 3 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई

आपराधिक मानहानि कानून बरकरार 
- लेकिन  दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों में एक और संशोधन 
- अब इसमें या सामुदायिक सेवा भी शामिल 
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर नया अध्याय 
- रेप के लिए न्यूनतम सज़ा अवधि बढ़ाई गई
- न्यूनतम सज़ा जो पहले 7 साल थी अब 10 साल होगी 
- 16 साल से कम उम्र की नाबालिग के साथ बलात्कार के लिए अलग नया कानून बनाया गया  
- 16 साल से कम उम्र की नाबालिग के साथ बलात्कार के लिए सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया
- नए कानून के तहत नाबालिग से सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सज़ा
- बलात्कार पीड़ितों की पहचान की सुरक्षा के लिए नया कानून 
- दो साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान 

Advertisement

भगौड़े अपराधियों के लिए कड़े प्रावधान
- घोषित अपराधियों और भगोड़ों के खिलाफ मुकदमा चलता रहेगा 
- भले ही वो पेश ना हों 
- अदालत फैसला भी सुना सकेगी 
- भगौड़े की कोई भी अपील तब तक मान्य नहीं होगी जब तक वह अदालत के सामने पेश न हो जाए 

- दाऊद इब्राहिम, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, हाफ़िज़ सईद  जैसे लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी

जानें क्या नहीं बदलेगा ?
-मेरिटल रेप अपराध नहीं 
- भारत में मेरिटल रेप अभी भी अपराध नहीं  होगा 
- यानी पत्नी की इच्छा के बिना पति द्वारा यौन संबंध बनाना अपराध नहीं 
- इस प्रावधान को लेकर सवाल उठते रहे हैं 
- मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है
- अदालत को तय करना है कि मेरिटल अपराध के दायरे में आएगा या नहीं 

Advertisement

दहेज कानून 
- दहेज प्रताड़ना कानून को लेकर कोई बदलाव नहीं 

धारा 377 
- नए बिल में धारा 377 यानी आप्राकृ्तिक यौनाचार को लेकर कोई प्रावधान स्पष्ट नहीं किए गए हैं 
- हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बालिगों द्वारा बनाए गए यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था 
-  महिला के साथ आप्राकृ्तिक यौनाचार रेप के दायरे में है 
- लेकिन बच्चों व पशुओं के साथ आप्राकृतिक यौनाचार पर ये बिल मौन है 

Featured Video Of The Day
Pakistan Vs Afghanistan: पाकिस्तान में छिड़ा 'गृहयुद्ध'! | Syed Suhail | Bharat Ki Baat Batata Hoon
Topics mentioned in this article