केंद्र सरकार उधार सीमा के मुद्दे पर केरल के साथ बातचीत को तैयार, 19 फरवरी को फिर SC में होगी सुनवाई

केरल की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा, "केरल से एक प्रतिनिधिमंडल केंद्र के साथ बातचीत करने के लिए उड़ान भरेगा. बातचीत कल यानी बुधवार को शुरू हो सकती है. केंद्र के लिए AG आर वेंकटरमणी ने कहा ने कहा कि आशा है कि एक खुला संवाद हो सकता है.

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केरल बनाम केंद्र: 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगाA
नई दिल्ली:

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह शुद्ध उधारी की सीमा पर विवाद को सुलझाने के लिए केरल के साथ बातचीत के लिए तैयार है.  सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर केंद्र और केरल सरकार बातचीत के लिए तैयार हुई है. केंद्र और केरल सरकार के बीच यह चर्चा बुधवार यानी 14 फरवरी से शुरू होगी. इसके बाद फिर 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा.

केरल की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा, "केरल से एक प्रतिनिधिमंडल केंद्र के साथ बातचीत करने के लिए उड़ान भरेगा. बातचीत कल यानी बुधवार को शुरू हो सकती है. केंद्र के लिए AG आर वेंकटरमणी ने कहा ने कहा कि आशा है कि एक खुला संवाद हो सकता है.

इससे पहले केरल बनाम केंद्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य, केंद्र को बैठकर बात करनी चाहिए. वित्त सचिव और वित्त मंत्रालय बैठक कर इन बातों पर चर्चा क्यों नहीं करते. सौहार्दपूर्ण संबंध बड़े पैमाने पर देश के लिए काम करते हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि दोपहर में दोनों इस मुद्दे पर पक्ष रखें.

केंद्र पर राज्य की उधार लेने की सीमा कम करने का आरोप लगाया गया है. केरल सरकार ने कहा है कि डीए, पीएफ, पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं. वहीं, केंद्र ने अपनी ओर से पहले एक हलफनामे में राज्य की उधार लेने की क्षमता की सीमा को सही ठहराया था. यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया था कि सार्वजनिक वित्त प्रबंधन एक राष्ट्रीय मुद्दा है और राज्यों द्वारा अनियंत्रित उधार लेने से देश की क्रेडिट रेटिंग प्रभावित होगी और यह वित्तीय स्थिरता खतरे में पड़ सकती है.

केंद्र ने यह भी कहा कि केरल देश के सबसे आर्थिक रूप से अस्वस्थ राज्यों में से एक है. केरल सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट  सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में केरल सरकार ने कहा था कि देश के कुल कर्ज या बकाया का लगभग 60 फीसदी हिस्सा केंद्र का है और शेष 40 फीसदी हिस्सा सभी राज्यों का.

केंद्र के नोट का जवाब देते हुए राज्य सरकार ने कहा कि 2019-2023 की अवधि के लिए केंद्र और राज्यों के कुल कर्ज में केरल का योगदान 1.70-1.75 प्रतिशत है. इसमें कहा गया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 7.22 लाख करोड़ रुपये की उधारी वित्त आयोग द्वारा निर्धारित संयुक्त सीमा के भीतर होगी. 
 

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