सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड पर केंद्र सरकार बोली- योजना पारदर्शी, सिब्बल और प्रशांत भूषण ने उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या पता चलता है कि पैसा कहां से आता है ? अब 6 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी. यह जनहित याचिका एडीआर द्वारा 2017 में दायर की गई थी.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की.

चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना का बचाव किया. केंद्र सरकार ने कहा कि चुनावी बॉन्ड पूरी तरह पारदर्शी है. चुनावी बॉन्ड से लोकतंत्र को कोई खतरा नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, क्या पता चलता है कि पैसा कहां से आता है ? अब 6 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी. यह जनहित याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा 2017 में दायर की गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने 12 अप्रैल 2019 के अंतरिम आदेश में फिलहाल चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था.

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कॉमन कॉज के वकील प्रशांत भूषण ने आज कोर्ट में कहा कि चुनावी बॉन्ड ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को वैध कर दिया है और राजनीतिक फंडिंग में पूर्ण गैर-पारदर्शिता बनाए रखी है. मनी बिल के माध्यम से संशोधन कैसे लाए जा सकते हैं? ऐसे में इलेक्टोरल बॉन्ड्स का मामला पेचीदा इसलिए हो गया है क्योंकि आरटीआई और एफसीआरए संशोधन विधेयक वित्त विधेयक के तौर पर ही संसद में पास कराए गए. लिहाजा पूरी बहस और तफ्तीश और सभी पहलुओं पर जांच पड़ताल हुई ही नहीं.

कपिल सिब्बल ने भी कहा कि अब तो ये पता ही नहीं चल पा रहा है कि कौन किसको कैसे चंदा दे रहा है? ये ट्रेंड लोकतंत्र को नष्ट कर रहा है. पता ही नहीं चल रहा है कि पार्टियों को चंदा देने के लिए बनाए गए अनुच्छेद 324 पर इन अनियमितताओं का क्या कितना और कैसा असर पड़ रहा है? 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह एक पारदर्शी व्यवस्था है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि इससे लोकतंत्र को ख़तरा है. पहले सरकार के पक्ष को सुनिए, उसके बाद आप यह तय कर सकते हैं कि संविधान पीठ को भेजे जाने की जरूरत है या नहीं. 

कपिल सिब्बल ने कहा कि इसमें कई संवैधानिक मुद्दे शामिल हैं. यह मामला बड़ी पीठ के पास जाना चाहिए.

केंद्र के लिए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अब व्यवस्था बहुत सही है. चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए बॉन्ड लाए गए हैं. पहले चंदा नकद में दिया जाता था और बेहिसाब धन चुनावी चंदे में जाता था लेकिन अब, बॉन्ड KYC के अनुरूप हैं और चूंकि बॉन्ड केवल अधिकृत बैंकों द्वारा जारी किए जाते हैं और भुगतान चेक, ड्राफ्ट और प्रत्यक्ष डेबिट के माध्यम से होते हैं, इसलिए एक ऑडिट ट्रेल होता है. इसमें कोई दम नहीं है कि कोई पारदर्शिता नहीं है.

जस्टिस गवई ने पूछा, क्या सिस्टम यह जानने की व्यवस्था करता है कि पैसा कहां से आता है?
- तुषार मेहता- जी हां, सब कुछ पारदर्शी है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें-

सेक्स, पैसा, विश्वासघात : ओडिशा की महिला ब्लैकमेलर की पढ़ें कहानी

यह Video भी देखें : गुरुग्राम में नमाज को लेकर हुआ बवाल, केस दर्ज

>

Featured Video Of The Day
Delhi Traffic Jam: मरघट वाले हनुमान मंदिर में भक्तों की भीड़, त्योहारों में Traffic Jam | Delhi News