कश्मीर में टारगेट किलिंग के लिए केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को बताया जिम्मेदार

सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कश्मीरी पंडितों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा, लेकिन कश्मीर से बाहर नहीं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "केंद्र किसी जाति की टारगेट किलिंग का हिस्सा नहीं हो सकता. हम बहु-सांस्कृतिक समाज में विश्वास करते हैं."

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NSA अजीत डोभाल
नई दिल्ली:

कश्मीर में हिंदुओं की टारगेट किलिंग के बीच केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि अल्पसंख्यकों (कश्मीर में गैर मुस्लिम) को कश्मीर घाटी से बाहर नहीं, बल्कि कश्मीर में ही सुरक्षित जगहों पर स्थानांतरित किया जाएगा. यह निर्णय केंद्र द्वारा कश्मीरी पंडितों की उन मांगों के बीच लिया गया है, जिसमें उन्होंने खुद को कश्मीर से बाहर भेजे जाने की मांग की थी.

वहीं केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने शुक्रवार को नॉर्थ ब्लॉक में कई बैठकों के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ब्रीफिंग करते हुए कश्मीर घाटी में बढ़ती हिंसा के लिए फिर से पाकिस्तान को दोषी ठहराया है.

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "कश्मीर में हिंसा का स्तर बढ़ गया है, लेकिन यह जिहाद नहीं है. यह कुछ हताश तत्वों द्वारा किया जा रहा है." उन्होंने कहा कि हिंसा के अपराधी पाकिस्तान में सीमा पार बैठे हैं.

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अधिकारियों ने गृह मंत्री को यह भी बताया कि कश्मीर घाटी में तालिबान की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं है. यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में तालिबान के साथ अपनी भागीदारी शुरू की थी.

इससे पहले दिन में नार्थ ब्लॉक में तीन दौर की बैठक हुई. पहले दौर में, आंतरिक और बाहरी दोनों एजेंसियों के खुफिया प्रमुख इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख सामंत गोयल के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने गृह मंत्री को जारी हिंसा को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी.

सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कश्मीरी पंडितों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा, लेकिन कश्मीर से बाहर नहीं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "केंद्र किसी जाति की टारगेट किलिंग का हिस्सा नहीं हो सकता. हम बहु-सांस्कृतिक समाज में विश्वास करते हैं."

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उनके अनुसार, खुफिया एजेंसियों द्वारा इंटरसेप्ट की जा रही बातचीत से पता चलता है कि पाकिस्तान की योजना ऐसी घटनाओं को और आगे बढ़ाने की है और इसलिए घुसपैठ के नए प्रयास किए जा रहे हैं.

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दरअसल, दूसरे दौर की बैठक में पूरा फोकस अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा पर रहा. एक अन्य अधिकारी ने कहा, "यात्रा के बारे में हमें बहुत सारी जानकारियां मिल रही हैं. दरअसल, द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने खुले तौर पर कहा है कि वे यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से चलने देंगे."
 

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