CEC-EC की नियुक्ति का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सरकार को नियुक्ति के अधिकार के खिलाफ याचिका

सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके सरकार को नए अधिनियम के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और EC को नियुक्त करने से सरकार को रोकने की मांग की गई है.

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मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति (CEC-EC Appointment) का मामला सुप्रीम कोर्ट (Surpeme Court) पहुंचा है. कोर्ट में अर्जी दाखिल करके सरकार को नए अधिनियम के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त और EC को नियुक्त करने से सरकार को रोकने की मांग की गई  है. साथ ही याचिका में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के अनुसार चुनाव आयोग के सदस्य की नियुक्ति के निर्देश देने की भी मांग की गई है. मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेता जया ठाकुर इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं.

15 मार्च तक दो नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संभव

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद मामला गहराया है.  मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर केंद्र के नए कानून को चुनौती का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. दरअसल, 15 मार्च तक दो नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संभव है. चयन समिति सदस्यों की सुविधा के आधार पर 13 या 14 मार्च को बैठक करेगी.  केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के नेतृत्व में एक समिति जिसमें गृह विभाग और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के कैबिनेट सचिव शामिल होंगे, दोनों पदों के लिए पांच-पांच नामों के दो अलग-अलग पैनल तैयार करेंगे. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति जिसमें एक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल होंगे. राष्ट्रपति द्वारा आधिकारिक नियुक्ति से पहले चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए दो व्यक्तियों का नाम तय करेगी. अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद 3 सदस्यीय चुनाव पैनल में केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं. चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर 14 फरवरी को सेवानिवृत्त हो गए थे. 

13 फरवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों  की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नए कानून पर फिर रोक लगाने से इनकार किया था हालांकि नई याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. मामले को पहले से लंबित मामलों के साथ जोड़ दिया था. याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR ने याचिका दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान ADR की ओर से प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि नए कानून  पर रोक लगाई जानी चाहिए. हाल ही में एक चुनाव आयुक्त रिटायर होने वाले हैं, उनकी नियुक्ति की जानी है. अगर कानून पर रोक नहीं लगाई गई तो याचिका निष्प्रभावी हो जाएगी, लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इस तरह कानून पर रोक लगा नहीं सकते. मामले को अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ा जा सकता है.

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12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून पर रोक लगाने से किया था इनकार

12 जनवरी को भी सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून पर रोक लगाने से इनकार किया था, लेकिन नए कानून का परीक्षण करने को तैयार हो गया था. केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया गया था.  इस मामले में अप्रैल में सुनवाई होनी है. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि फिलहाल कानून पर रोक नहीं लगा सकते. किसी कानून पर इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती.  

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कांग्रेस की नेता जया ठाकुर ने दायर की है याचिका

केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है  कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि संसद द्वारा लाया गया कानून असंवैधानिक है.  याचिका में संसद द्वारा पास किए गए संशोधन पर रोक लगाने की मांग की गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर बने नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर में संशोधित कानून को चुनौती दी गई है. याचिका में मांग की गई है कि संसद द्वारा पास किए गए संशोधन को रद्द किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर नियुक्तियों में देश के मुख्य न्यायाधीश को पैनल में शामिल करने की मांग की गई है.  

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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में  कहा गया है कि देश में चुनाव में पारदर्शिता लाने के मद्देनज़र मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पैनल में मुख्य न्यायाधीश  को शामिल किए जाएं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस शामिल होंगे, जब तक कि कोई कानून ना लाया जाए. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने नया कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया.  संशोधित कानून के मुताबिक, सीजेआई (CJI) को सलेक्शन पैनल से हटा दिया गया और इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री कर दिया गया. 

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