केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जोर देकर कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी एजेंसियां निष्पक्ष काम कर रही हैं और केवल दो को छोड़ अधिकतर जांच किए जा रहे मामले पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार में दर्ज किए गए थे. शाह ने यहां आयोजित ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव' में कहा कि जांच एजेंसियां अगर गलत कर रही हैं तो उसे अदालतों में चुनौती दी जा सकती है.
पहले कहते थे...जांच नहीं होती
अमित शाह ने कहा, ‘‘वर्ष 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की एक बड़ी महिला नेता ने कहा था कि अगर वे भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं, तो जांच क्यों नहीं होती? वह हमसे सवाल कर रही थीं. अब जब कार्रवाई की जा रही है तो वह शोर मचा रहे हैं.'' केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि ये जांच एजेंसियां कानून से ऊपर नहीं है और किसी भी नोटिस, प्राथमिकी और आरोप पत्र को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है.
क्या जांच नहीं होनी चाहिए?
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘‘अदालत जाने के बजाय वे क्यों बाहर चिल्ला रहे हैं? मैं जनता से पूछना चाहता हूं कि अगर किसी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं तो क्या उसकी जांच नहीं होनी चाहिए? केवल दो को छोड़ ये सभी मामले उनके शासन में दर्ज किए गए थे, न कि हमारी सरकार के दौरान.''
आधारहीन आरोप नहीं टिकते
अडाणी समूह के खिलाफ जांच के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की दो सदस्यीय समिति बनाई है और सभी को उनके पास जाकर जो भी सबूत हैं, उन्हें जमा कराना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘अगर गलत हुआ है तो किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा. सभी को न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास रखना चाहिए.'' शाह ने कहा कि लोगों को आधारहीन आरोप नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि वे अधिक समय तक नहीं टिकते.
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