कावेरी जल विवाद : CWMA ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया, कल होगी सुनवाई

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कर्नाटक ने निर्देशों का पालन किया है और 26 अगस्त तक 149898 क्यूसेक पानी छोड़ा है

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कावेरी के पानी को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच विवाद के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

नई दिल्ली:

कावेरी जल विवाद मामले में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इस मामले की सुनवाई से एक दिन पहले हलफनामा दाखिल किया गया है. कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) ने कर्नाटक को तमिलनाडु राज्य को 15 दिनों के लिए 5000 क्यूसेक पानी देने का निर्देश दिया है. प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कर्नाटक ने निर्देशों का पालन किया है और 26 अगस्त तक 149898 क्यूसेक पानी छोड़ा है. मामले की शुक्रवार को सुनवाई होनी है.  

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल आदेश जारी करने से इनकार किया था और कहा था कि हम इस मामले के एक्सपर्ट नहीं हैं. अदालत ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण से रिपोर्ट  मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पानी को लेकर प्राधिकरण रिपोर्ट दाखिल करे. केंद्र की ओर से बताया गया था कि प्राधिकरण की बैठक होने वाली है.  

तमिलनाडु सरकार की 24000 क्यूसेक पानी देने का आदेश जारी करने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि, हम कोई आदेश कैसे पारित कर सकते हैं. हमारे पास कोई विशेषज्ञता नहीं है, आप अधिकारियों से संपर्क करें.

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तमिलनाडु में खत्म हुआ पानी

जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा, मुद्दा यह है कि अथॉरिटी के आदेश के बावजूद इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है. तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ वकील रोहतगी ने कहा, फिलहाल हमारे पास पानी खत्म हो गया है,  इस अदालत का फैसला आने तक पानी छोड़ा जाए. 15 दिन पहले का आदेश समाप्त हो गया है.  उन्होंने जो भी कहा है उसे जारी रहने दें. इस बार कम बारिश हुई है. 

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वहीं कर्नाटक सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है कि, तमिलनाडु हमें पानी छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. यह पानी की कमी वाला साल है. इस साल 25 फीसदी बारिश कम हुई. जलाशयों में पानी का प्रवाह 42.5% कम रहा. इसमें तमिलनाडु सरकार की अर्जी का विरोध किया गया. 

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कर्नाटक सरकार ने कहा, बाध्य नहीं किया जा सकता

कर्नाटक सरकार ने कहा कि, तमिलनाडु की मांग पूरी तरह से गलत है, क्योंकि यह एक गलत धारणा पर आधारित है कि सामान्य बारिश का साल है ना कि संकटग्रस्त साल. इस साल बारिेश 25% कम हुई है. कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा दर्ज किए गए आंकड़ों के अनुसार 09.08.2023 तक कर्नाटक में चार जलाशयों में पानी  42.5% कम हुआ है. इस साल के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून काफी हद तक विफल रहा है. मानसून की विफलता के कारण कर्नाटक में कावेरी बेसिन में संकट की स्थिति पैदा हो गई है. इसलिए कर्नाटक सामान्य वर्ष के लिए निर्धारित मानदंड  के अनुसार पानी सुनिश्चित करने के लिए बाध्य नहीं है और ना ही उसे बाध्य  किया जा सकता है. 

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कावेरी जल बंटवारा विवाद पर तमिलनाडु सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि कोर्ट कर्नाटक को निर्देश दे कि वह तमिलनाडु को अगस्त के बचे हुए दिनों में 24000 क्यूसेक पानी छोड़े. सितंबर में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण की सिफारिशों में किए गए सुधार के मुताबिक 36.76 टीएमसी पानी छोड़े. बोर्ड को भी कोर्ट निर्देश दे कि वह इस रिपोर्ट के मुताबिक पहली जून से 31 जुलाई के बीच सिंचाई में हुई कमी की भरपाई के लिए मासिक रूप से निर्धारित कावेरी नदी का जल वितरण सुनिश्चित करे.