भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) प्रमुख माधबी पुरी बुच ने कहा है कि दुनिया में एक ही कार्बन क्रेडिट बाजार नहीं होना चाहिए. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर स्थानीय स्तर पर सृजित संसाधनों के लिये किसी को इस आधार पर अतिरिक्त भुगतान क्यों करना चाहिए कि उसका मूल्य वैश्विक बाजार में अधिक है. उन्होंने कहा कि हर संप्रभु क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट व्यवस्था वहां के हिसाब से होनी चाहिए. बुच ने कहा, ‘‘दुनियाभर में चर्चा है कि एक ही कार्बन क्रेडिट बाजार होना चाहिए. हम मानते हैं कि उभरते बाजारों और विशेष रूप से कम लागत वाली अर्थव्यवस्थाओं के दृष्टिकोण से यह सही नहीं है क्योंकि इससे कार्बन क्रेडिट एक वस्तु बन जाएगा.'' कॉफी का उदाहरण देते हुए सेबी की चेयरपर्सन ने कहा कि आखिर स्टारबक्स जैसे ब्रांड की कॉफी के लिये अधिक भुगतान करने की क्या जरूरत है जब स्थानीय स्तर पर कॉफी 10 रुपये प्रति कप उपलब्ध है.
बुच ने यहां पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद के एक कार्यक्रम में कहा कहा, ‘‘जब हमारे देश में, हमारे अधिकार क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट उत्पन्न होते हैं, तो ऐसा क्यों होना चाहिए कि इन कार्बन क्रेडिट की एक ही कीमत हो? यह ठीक उसी प्रकार है जैसा कि हर किसी के पास एक ही तरह की कॉफी के कप या एक ही मुद्रा होनी चाहिए.''उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे लिये महत्वपूर्ण मुद्दा है. एक संप्रभु होने के नाते यह जरूरी है कि हम व्यवस्था के संदर्भ में कार्बन क्रेडिट की स्वतंत्रता बनाये रखे.''
बुच ने कहा कि पर्यावरण, सामाजिक और कंपनी संचालन अभी भी उभर रहा है और यह जरूरी है कि भारत जैसी निम्न लागत वाली अर्थव्यवस्थाओं के पास पर्यावरण, सामाजिक और संचालन (ईएसजी) को लेकर विचारों की स्वतंत्रता होनी चाहिए.
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