मंत्रिमंडल ने व्यक्तिगत सूचना संरक्षण विधेयक को मंजूरी दी, मानसून सत्र में पेश होगा

सूत्र ने कहा, “विधेयक का लक्ष्य इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और निजी कंपनियों जैसी इकाइयों को ‘निजता के अधिकार’ के तहत नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी के संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण के बारे में और ज्यादा जिम्मेदार और जवाबदेह बनाना है.”

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
सूत्र के अनुसार, विधेयक में पिछले मसौदे के लगभग सभी प्रावधानों को शामिल किया गया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को डिजिटल व्यक्तिगत सूचना संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक को मंजूरी दे दी. इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा. एक आधिकारिक सूत्र ने यह जानकारी दी. सूत्र ने कहा, “विधेयक का लक्ष्य इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और निजी कंपनियों जैसी इकाइयों को ‘निजता के अधिकार' के तहत नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी के संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण के बारे में और ज्यादा जिम्मेदार और जवाबदेह बनाना है.”

उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने डिजिटल व्यक्तिगत सूचना संरक्षण विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है. इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा.'' संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा. डीपीडीपी विधेयक पर काम पिछले साल 27 अगस्त को उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के बाद शुरू हो गया था, जिसमें ‘निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार' बताया गया है. 

सरकार ने व्यक्तिगत सूचना विधेयक को अगस्त, 2022 में वापस ले लिया था. इसे सबसे पहले 2019 के अंत में पेश किया गया था. इसके नए संस्करण के मसौदे को नवंबर, 2022 में जारी किया गया. सूत्र के अनुसार, विधेयक में पिछले मसौदे के लगभग सभी प्रावधानों को शामिल किया गया है. उस मसौदे को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने परामर्श के लिये जारी किया था. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून में सरकारी विभागों को पूरी तरह से छूट नहीं दी गयी है.

सूत्र ने कहा, “विवादों के मामले में सूचना संरक्षण बोर्ड फैसला करेगा. नागरिकों को दिवानी अदालत में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा. कई चीजें हैं जो धीरे-धीरे विकसित होंगी.” उन्होंने कहा, “कानून लागू होने के बाद व्यक्तियों को अपने आंकड़े, उसके रखरखाव आदि के बारे में विवरण मांगने का अधिकार होगा.”

सूत्र ने बताया, “इस मसौदे को व्यापक विचार-विमर्श के बाद मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया. मसौदे पर कुल मिलाकर लगभग 21,660 सुझाव प्राप्त हुए और उनमें से प्रत्येक पर विचार किया गया. मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले सरकार के बाहर 48 संगठनों और सरकार के भीतर 38 संगठनों के साथ परामर्श किया गया था.”

कानून बनने के बाद सार्वजनिक और निजी, दोनों तरह की कई संस्थाओं को निजी जानकारी एकत्र करने और संसाधित करने के लिए उपयोगकर्ताओं से सहमति लेने की जरूरत होगी. विधेयक में नियमों के उल्लंघन के प्रत्येक मामले में संबंधित इकाई पर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया गया है.

Advertisement

यह भी पढ़ें -
-- अजित खेमे में सेंध? शपथ ग्रहण में शामिल हुए MP अमोल कोल्हे बोले- मेरी वफादारी शरद पवार के साथ
-- अजित पवार की एंट्री से शिंदे गुट को सता रहा डर? सारे काम छोड़ MP-MLAs के साथ CM ने की बैठक

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Maharashtra Politics: CM Fadnavis से मिलकर आखिर क्यों खुश हैं Ajit Pawar से खफा Chhagan Bhujbal?