कोरोना के दो वर्षों ने आधुनिक शिक्षा पद्धति में असमानता की खाई और चौड़ी कर दी है. शिक्षा विशेषज्ञों और एजुटेक एक्सपर्ट का कहना है कि आम बजट में सिर्फ आम बजट (Budget Education) बढ़ाने की बजाय सरकार को प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर शिक्षा में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर विशेष ध्यान देना होगा, तभी नई शिक्षा नीति सफल हो पाएगी. शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वर्चुअल एजुकेशन अब रियलिटी बन चुकी है, लिहाजा सरकारी शिक्षा को इससे दूर नहीं रखा जा सकता. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी.
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संपर्क फाउंडेशन (Sampark Foundation) के संस्थापक विनीत नायर का कहना है कि कोविड-19) ने शिक्षा व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर गरीब बच्चों के लिए सीखने, लिखने-पढ़ने के कमजोर तंत्र पर और गहरी चोट की है. लिहाजा सरकारी प्राइमरी और सेकेंडरी लेवल एजुकेशन लर्निंग सिस्टम में तुरंत ही एजुटेक स्टार्टअप की सेवाएं ली जानी चाहिए. टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम का बजट भी कई गुना किया जाए. एजुकेशन को बिजनेस बनाने के ट्रेंड पर अंकुश के लिए भी कुछ नीतिगत घोषणा की जानी हैं.
1M1B Foundation ( 1Million for 1 Billion) के सह संस्थापक मानव सुबोध का कहना है कि मेटावर्स का आगाज भारत के शिक्षा जगत में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया है. यह भारत में रूरल-अर्बन इंडिया में एजुकेशन सिस्टम और स्किलिंग में बड़ी भूमिका निभा सकता है. सुबोध का कहना है कि आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस और वर्चुअल रियलिटी के जरिये ट्रेनिंग और फ्यूचर स्किलिंग में बड़ी सहायता मिलेगी. लाखों रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे. लिहाजा मेटावर्स, एआर-वीआर के लिए एजुकेशन फंड आवंटित होना चाहिए. पिछले सात साल से 1M1B 10,000 से अधिक स्कूली शिक्षकों और 15,000 से ज्यादा छात्रों को प्रशिक्षण दे चुकी है. इनमें 500 से ज्यादा स्कूल छोटे शहरों में हैं. मेटावर्स एक शानदार अवसर है कि पूरा कंटेंट डिमाक्रटाइज़ हो सकता है और एक अच्छे फोन और एक अच्छे इंटरनेट कनेक्शन से सारी ट्रेनिंग युवाओं को भारत के किसी भी हिस्से में उपलब्ध हो सकती है.
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साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स जैसे सब्जेक्ट्स में कंटेंट डेवलपमेंट यानी पाठ्यक्रम तैयार करने, ट्रेनिंग और टीचिंग सेशन में ये मेटावर्स को हमें समय से पहले अपनाना होगा, इसे नई शिक्षा नीति का हिस्सा बनाना जरूरी है. मेटावर्स एजुकेशन ट्रेनिंग को भी आसान और सर्वसुलभ बना सकता है. उन्हें तकनीक दौर पर दक्ष बना सकता है. मेटावर्स के जरिये ओपन सोर्स कंटेंट आसानी से तैयार किया जा सकता है. मेटा/फेसबुक की सीबीएसई (CBSE) के साथ साझेदारी इसी दिशा में कदम है. भारत के अग्रणी एडटेक स्टार्टअप (edtech) एजुक्लाउड्स (Educlouds) के सीईओ स्पर्श गर्ग ने कहा कि एक साल में एडटेक स्टार्टअप की संख्या 3500 तक पहुंच गई है.
वर्ष 2030 तक भारत में एडटेक का कारोबार 10 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा. उनका कहना है कि वर्चुअल एजुकेशन या ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म की शहरों के साथ ग्रामी इलाकों तक पहुंच बढ़ रही है,लेकिन डिजिटल माध्यमों तक पहुंच में अंतर (Digital Divide) उन तक समान पहुंच की जरूरत बजट से पूरी करनी होगी. इंटरनेट, बिजली के बेहतर ढांचे, सस्ती कनेक्टिविटी और डेटा प्रोटेक्शन सिस्टम के साथ एडटेक स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए टैक्स छूट भी केंद्रीय बजट (Union Budget) में ध्यान देना होगा. मोबाइल, लैपटॉप जैसे गैजेट महंगे न हों, ये भी ध्यान देना आवश्यक है. तभी भारत डिजिटल एजुकेशन का ग्लोबल हब बन पाएगा. इस सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई से बड़ा बदलाव आएगा.