कर्नाटक चुनाव से पहले बीएस येदियुरप्पा, बसवराज बोम्मई और अनिश्चितता का खेल

बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने कई बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोपों के बाद पद से उनको पद से इस्तीफा देना पड़ा.अब उनको बीजेपी संसदीय बोर्ड (BJP Parliamentary Board) में जगह मिली है.

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बीएस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई दर्शन के लिए तिरुपति मंदिर पहुंचे.
नई दिल्ली:

कर्नाटक (Karnataka) में जब भाजपा की बात होती है तो दिमाग में सबसे पहला चेहरा बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) का आता है, जो लिंगायत समुदाय के शक्तिशाली नेता है. दक्षिण भारत में भाजपा (BJP) के पहले मुख्यमंत्री बने. येदियुरप्पा ने कई बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पद से उनको पद से इस्तीफा देना पड़ा. मुख्यमंत्री के रूप में उनका आखिरी कार्यकाल एक साल पहले ही समाप्त हुआ था. 

हाल ही में कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को बीजेपी संसदीय बोर्ड और सीईसी का सदस्य बनाया गया है. इसे लेकर येदियुरप्पा और सीएम बसवराज बोम्मई ने पीएम मोदी को धन्यवाद कहा है. ये अलग बात है कि बीजेपी में 75 साल की उम्र के बाद सक्रिय राजनीति में लोगों को शामिल नहीं किया जाता, लेकिन यहां 79 साल के येदियुरप्पा के मामले में अलग कहानी है. बीजेपी की संसदीय बोर्ट में जगह मिलने के बाद येदियुरप्पा और बोम्मई आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लिए रवाना हो गए. हालांकि येदियुरप्पा की टीम ने तिरुपति की यात्रा को केवल दर्शन के लिए एक यात्रा बताया है. अब बात करते हैं येदियुरप्पा के वफादार बसवराज बोम्मई की. बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से हैं. कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है. ऐसे में 

येदियुरप्पा और बोम्मई समर्थकों के बीच सीएम पद को लेकर मतभेद सामने आते रहते हैं. मतलब साफ है कि बीजेपी आंतरिक कलह के हालात हैं. कर्नाटक के चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैं, जबकि येदियुरप्पा दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत करने के रूप में अपनी नई भूमिका देखते हैं. उनका मुख्य ध्यान अपने गृह राज्य पर होना चाहिए. 

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कर्नाटक पिछले कुछ महीनों से सांप्रदायिक अशांति का सामना कर रहा है. विभिन्न समुदायों के लोगों की भीषण हत्याओं के साथ येदियुरप्पा के अपने जिले शिवमोग्गा में भी सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली है. हिंसा ने उनके उत्तराधिकारी बोम्मई पर दबाव डाला है. प्रदेश में बिगड़ते लॉ एंड ऑर्डर को देखते हुए येदुयुरप्पा समर्थक उनको दोबारा मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री के किसी भी बदलाव से इनकार किया जा रहा है. पार्टी प्रवक्ता एस प्रकाश ने एनडीटीवी से कहा, "इस स्तर पर नेतृत्व के किसी भी बदलाव से भाजपा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. ये केवल निहित स्वार्थों द्वारा फैलाई गई अफवाहें हैं."

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बोम्मई के करीबी सूत्रों ने एनडीटीवी से दावा किया कि कुछ दिनों पहले पीएमओ से मुख्यमंत्री के लिए फोन आया था. सूत्रों ने कहा कि बोम्मई को उस फोन कॉल के दौरान याद दिलाया गया था कि अमित शाह ने कहा था कि बोम्मई के नेतृत्व में राज्य में चुनाव होंगे. कहा जाता है कि कर्नाटक में स्थानीय नेताओं से नेतृत्व परिवर्तन की बात उठ रही है, जो राज्य नेतृत्व में ऐसा बदलाव देखना चाहते हैं. 

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बता दें कि कर्नाटक में चुनावों में कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा को अपने नेतृत्व परिवर्तन में कोई बदलाव की जरूरत नहीं है. बल्कि बीजेपी में नाराज चल रहे लोगो को मनाना होगा. राज्य में नेतृत्व परिवर्तन बीजेपी के लिए उलटा भी पड़ सकता है.हालांकि राजनीति अनिश्चतताओं का खेल है कभी कुछ भी हो सकता है. 

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