दिल्ली ही नहीं, ऋषिकेश, देहरादून की हवा भी खराब, लखनऊ से लेकर भोपाल तक जानें कहां कितना प्रदूषण

Delhi Air Pollution: दिल्ली-NCR में प्रदूषण से हालत चिंताजनक हैं. सबसे खराब स्थिति नोएडा में देखी गई, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 417 पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है. दिल्ली का AQI भी 391 रहा, जो ‘बहुत खराब से गंभीर श्रेणी की सीमा’ पर है.

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  • उत्तर भारत के प्रमुख शहरों में बुधवार सुबह हवा की गुणवत्ता बेहद खराब दर्ज की गई, नोएडा में AQI 417 रहा.
  • दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 391 पहुंचा, जो बहुत खराब से गंभीर श्रेणी के बीच माना गया है.
  • विशेषज्ञों के अनुसार गंभीर श्रेणी की हवा सभी आयु वर्ग के लिए हानिकारक है और स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है.
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उत्तर भारत के कई बड़े शहरों में बुधवार सुबह एयर क्वालिटी बेहद खराब दर्ज की गई. सबसे खराब स्थिति नोएडा में देखी गई, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 417 पहुंच गया, जो ‘गंभीर' श्रेणी में आता है. दिल्ली का AQI भी 391 रहा, जो ‘बहुत खराब से गंभीर श्रेणी की सीमा' पर है.इसके अलावा ग्रेटर नोएडा (402), चंडीगढ़ (397), गुरुग्राम (370) और फरीदाबाद (387) में भी हवा का स्तर खतरनाक बना हुआ है.राजधानियों में भी हालत चिंताजनक है. लखनऊ का AQI 368, जबकि भोपाल में यह 228 रिकॉर्ड किया गया. राजस्थान की राजधानी जयपुर के हालात अपेक्षाकृत बेहतर रहे, जहां AQI 277 रहा, जो ‘खराब' श्रेणी में आता है. हिमाचल प्रदेश के बद्दी में एक्यूआई 273 और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 261 है. ऋषिकेश में एक्यूआई लेवल 109 है.

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कहां कितना AQI?

  • नोएडा: 417
  • ग्रेटर नोएडा: 402
  • दिल्ली: 391
  • चंडीगढ़: 397
  • फरीदाबाद: 387
  • गुरुग्राम: 370
  • लखनऊ: 368
  • जयपुर: 277
  • भोपाल: 228
  • आगरा: 162
  • प्रयागराज: 312

स्वास्थ्य पर असर

विशेषज्ञों के अनुसार, ‘गंभीर' श्रेणी में हवा का स्तर हर आयु वर्ग के लोगों के लिए हानिकारक माना जाता है. इससे सांस की दिक्कत, आंखों में जलन, सिरदर्द और हृदय संबंधी समस्याएँ तक बढ़ सकती हैं.

क्या करें?

  • बाहर निकलने पर मास्क का उपयोग करें
  • सुबह-शाम की सैर से बचें
  • घर के भीतर एयर प्यूरीफायर चलाएं
  • बुजुर्ग, बच्चे और अस्थमा या हृदय रोगी विशेष सावधानी बरतें

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बिना PUC सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल

बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को घोषणा की कि 18 दिसंबर से राष्ट्रीय राजधानी में वैध प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाण पत्र के बिना वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन भरने की अनुमति नहीं दी जाएगी. सिरसा ने कहा कि वाहन मालिकों को नियम का पालन करने के लिए एक दिन का समय दिया गया है. उन्होंने कहा कि कल के बाद, जिन वाहनों के पास वैध पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं होगा, उन्हें ईंधन नहीं दिया जाएगा.

7,500 इलेक्ट्रिक बसें चलाएंगे

सिरसा ने कहा कि जैविक पदार्थों से खाद बनाने वाले संयंत्र प्रदूषण में योगदान करते हैं और सरकार ने उत्सर्जन को कम करने और स्वच्छ संचालन सुनिश्चित करने के लिए हीटर उपलब्ध कराए हैं. प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी गई है और पीयूसी नियमों के उल्लंघन पर चालान काटे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने शहर में प्रदूषण के 13 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, संबंधित एजेंसियों को इनसे निपटने के लिए आमंत्रित किया है. सिरसा ने कहा कि सरकार स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है और शहर में 7,500 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना है, जिससे वाहनों से होने वाला प्रदूषण काफी हद तक कम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि एक वैज्ञानिक समिति का गठन किया गया है और प्रदूषण नियंत्रण के प्रभावी उपायों की सिफारिश करने के लिए बैठकें भी की गई हैं.

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