- दिल्ली-NCR के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर स्तर पर पहुंचकर सांस संबंधी रोगों का खतरा बढ़ा रहा है.
- नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 395 से 407 के बीच दर्ज हुआ है जो अत्यंत खराब है.
- विशेषज्ञ बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों को प्रदूषित हवा से बचाव के लिए
- सावधानी बरतने की सलाह दे रहे.
दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है. सोमवार सुबह जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली का AQI 370 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर' श्रेणी में आता है. वहीं, एनसीआर के अन्य शहरों में हालात और भी खराब हैं. नोएडा में AQI 397, गाजियाबाद में 395, ग्रेटर नोएडा में सबसे ज्यादा 407 दर्ज किया गया.
लखनऊ में भी हवा की गुणवत्ता चिंताजनक है, जहां AQI 346 रहा. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन वहां भी AQI 165 ‘मध्यम' श्रेणी में है. इसके अलावा चंडीगढ़ में AQI 298 और मुंबई में 303 दर्ज किया गया, जो ‘खराब' श्रेणी में आते हैं.
विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्तर की प्रदूषित हवा से सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.
बता दें कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management/CAQM) ने रविवार को एक रिपोर्ट सार्वजनिक कर कई अहम तथ्य सार्वजनिक किए. CAQM की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी से नवंबर के बीच दिल्ली में 2020 के कोरोना लॉकडाऊन के साल को छोड़ कर पिछले 8 वर्षों में सबसे कम औसत AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) दर्ज किया गया है.
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क्या कहती है CAQM की ताजा रिपोर्ट
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण संकट पर CAQM की ताज़ा आंकलन रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जनवरी-नवंबर की अवधि में दिल्ली का औसत AQI 187 दर्ज किया गया है, जबकि इसी अवधि के दौरान यह क्रमशः 2024 में 201, 2023 में 190, 2022 में 199, 2021 में 197, 2020 में 172, 2019 में 203 और 2018 में 213 दर्ज़ किया गया था.
बचाव के लिए क्या करें?
बाहर निकलते समय मास्क पहनें.
सुबह-शाम की सैर से बचें.
घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें.
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प्रदूषण पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा
कांग्रेस ने दिल्ली में वायु प्रदूषण की तुलना 'धीमे जहर' से करते हुए कहा कि सरकार को इस 'राष्ट्रीय समस्या' पर सभी हितधारकों के साथ बातचीत करनी चाहिए और इस मुद्दे से निपटने के लिए सांसदों के स्तर की समिति बनाने पर भी विचार करना चाहिए. कांग्रेस ने भाजपा-आप पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारों को लोकलुभावन राजनीति करने के लिए बहुत समय मिलेगा, लेकिन यदि वे सारा पैसा मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर देंगी तो बुनियादी सुविधाओं के लिए धन नहीं बचेगा.













