"रिफाइंड तेल खरीदने निकला था": संभल हिंसा में मारे गए व्यक्ति के भाई ने कहा 

संभल के कोट इलाके में रविवार को भड़की हिंसा में नईम, बिलाल, नोमान और अयान की मौत हो गई थी. पुलिस के मुताबिक, हिंसा में करीब 20-22 पुलिसकर्मी घायल हो गए. 

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संभल:

उत्तर प्रदेश के संभल में मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा के दौरान गोली लगने से मरने वालों में एक चार बच्‍चों का पिता भी शामिल है. वह परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्‍य था और किराने का सामान खरीदने के लिए घर से बाहर निकला था. परिवार का कहना है कि उन्हें अपनी जान का भी डर है. 

नईम के भाई तसलीम ने एनडीटीवी को बताया, "जब हिंसा भड़की तो वह रिफाइंड तेल और मैदा लेने जा रहा था. उसे पता भी नहीं था कि इलाके में तनाव है. पुलिस ने उसे मार डाला." हालांकि पुलिस अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया है.

नईम (35) कोट गर्वी इलाके का रहने वाला था और मिठाई की दुकान चलाता था. उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं. नईम के भाई ने कहा, "हम बहुत चिंतित हैं, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, हम खुद यहां सुरक्षित नहीं हैं."

पुलिस ने सिर्फ पैलेट गन का इस्‍तेमाल किया : संभल एसपी 

संभल के एसपी कृष्णन बिश्नोई ने कहा कि हिंसा में करीब 20-22 पुलिसकर्मी घायल हो गए. 

उन्‍होंने कहा, "पुलिस ने केवल पेलेट गन का इस्तेमाल किया था. तीनों मृतकों की ऑटोप्‍सी रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मौत .315 बोर बंदूक की गोली के कारण हुई." 

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उसने बताया कि पुलिस गोलीबारी कर रही थी : कामिल 

झड़प में मारे गए तीन अन्य लोगों में 19 साल का मोहम्मद अयान भी शामिल था. 

अयान के भाई कामिल ने एनडीटीवी को बताया, "मेरी मां ने उसे जगाया और होटल में काम करने के लिए भेजा था. मस्जिद में हंगामा हुआ तो वह पास ही था. वह भागा तो एक गोली उसके सीने में लगी. मैंने उसे उठाया."

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कामिल ने कहा, "गोली लगने के बाद भी वह 11 घंटे तक मेरे साथ था और उसने मुझे बताया कि पुलिस गोलीबारी कर रही थी."

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कामिल ने यह भी दावा किया कि अस्पताल में अयान के इलाज में देरी हुई. 

उसने कहा, "यहां तक ​​कि जब मैं अपने भाई को अस्पताल ले गया तो उन्होंने पहले 500 रुपये मांगे और फिर उसे 2 इंजेक्शन दिए. उसका बहुत खून बह रहा था. मैंने कहा कि उसकी मदद कीजिए लेकिन अस्पताल में लोगों ने कहा कि पहले पुलिस कार्रवाई की जाएगी." 

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वाहनों में लगाई आग, जमकर किया पथराव 

शाही जामा मस्जिद का पहला सर्वे 19 नवंबर को किया गया था. चार दिन बाद दूसरे सर्वे में मस्जिद की विशेषताओं की तस्वीरें और वीडियो लेना शामिल था, लेकिन हिंसा भड़क उठी. 

सर्वेक्षण टीम ने रविवार को जैसे ही अपना काम फिर से शुरू किया, लोगों का एक बड़ा समूह 17वीं सदी की मस्जिद के पास इकट्ठा हो गया और नारे लगाने लगा. इसके बाद वे सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गए. वाहनों में आग लगा दी गई और पथराव किया गया. 

मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़काने के आरोपी समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान बर्क ने आरोपों से इनकार किया है.  बर्क ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप निराधार थे, उन्होंने कहा कि हिंसा के समय वह बेंगलुरु में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में भाग ले रहे थे. 

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