पिछले साल नागालैंड में सेना द्वारा किए गए फायरिंग में हुए 14 लोगों की मौत मामले में एसआईटी ने आरोपपत्र अदालत को सौंप दिया है. इस मामले में नागालैंड पुलिस की तरफ से सेना के 30 जवानों को आरोपी बनाया गया है. एसआईटी की जांच में कहा गया है कि 21 पैरा स्पेशल फोर्स के सैनिकों ने घात के दौरान एसओपी का पालन नहीं किया था. घटना में रात में एक पिकअप ट्रक में घर लौट रहे 14 नागरिकों की मौत हो गई थी. 4 दिसंबर, 2021 को हुई घटना के बाद गुस्से में जवानों को घेरने वाले ग्रामीणों के हमले में एक जवान की मौत हो गई थी.
नागालैंड सरकार ने केंद्र से चार्जशीट में नामजद जवानों के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत मांगी है. राज्य पुलिस ने भी रक्षा मंत्रालय को पत्र भेजकर कार्रवाई की मंजूरी मांगी है.गौरतलब है कि नागालैंड उन राज्यों में शामिल है जहां पर अफस्पा कानून लागू है. इस कानून के तहत सुरक्षा बलों पर केंद्र की मंजूरी के बिना कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. पूरे घटनाक्रम पर सेना की तरफ से भी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जा रही है. सेना की एक टीम ने कुछ ही दिन पहले घटनास्थल पर जा कर गांव का दौरा किया था. घटना की परिस्थितियों को समझने का प्रयास किया था.
बताते चलें कि हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर बताया था कि असम, मणिपुर व नागालैंड में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम ( AFSPA) के तहत आने वाले इलाके घटा दिए गए हैं. केंद्र की तरफ से यह फैसला नागालैंड में हुई घटना के बाद ही उठाया गया था.
मालूम हो कि 14 नागरिकों की मौत के बाद नगा स्टूडेंट फेडरेशन की तरफ से जमकर प्रदर्शन हुए थे. मारे गए आम नागरिकों को न्याय दिलाने और विवादास्पद AFSPA कानून को खत्म करने की मांग को लेकर हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया था.
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