गणतंत्र के स्पेशल 26 (Gantantra ke Special 26) में आज बात बॉम्बे सैपर्स की... 26 जनवरी की परेड में ये भी शामिल होंगे. इनका काम लड़ाई के दौरान सेना की किसी भी तरह की बाधा को दूर करना है. ये प्राकृतिक आपदा के दौरान भी लोगों की मदद करते हैं. पाकिस्तान के ख़िलाफ़ इनकी सैन्य तकनीक का इस्तेमाल बेहद कारगर रहा है.
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी बॉम्बे सैंपर्स से...
आज हमारे स्पेशल 26 का आख़िरी एपिसोड है. आज बात उन लोगों की, जो किसी जंग में सबसे पहले जाते हैं और सबसे अंत में उससे बाहर आते हैं. हालांकि, इनका नाम कम लोगों ने सुना है. इस गणतंत्र दिवस पर कर्तव्य पथ पर वे भी होंगे. ये हैं बॉम्बे सैपर्स, जिन्हें बॉम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप भी कहा जाता है. मौजूदा सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी बॉम्बे सैंपर्स से हैं.
राजौरी इनकी बहादुरी की वजह से ही भारत का हिस्सा
200 साल का इनका इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है. आज़ादी से पहले बहादुरी का पहला विक्टोरिया क्रॉस बॉम्बे सैपर्स को ही मिला. राजौरी इनकी बहादुरी की वजह से ही भारत का हिस्सा बना रह सका. पाकिस्तान के ख़िलाफ़ इनकी सैन्य तकनीक का इस्तेमाल बेहद कारगर रहा है. सैपर्स दरअसल, वो टीम है, जो सेना की बाधाएं दूर करती हैं.
रास्ता खोज लेते हैं...
किसी युद्ध में सेना के लिए सड़क या पुल तैयार करने का काम सैपर्स ही करते हैं. बारूदी सुरंगें बिछाने और फिर हटाने का काम भी इन्हीं के हिस्से होता है. युद्ध के अलावा किसी तरह के हादसे या प्राकृतिक आपदा में भी इनकी भूमिका बहुत बड़ी होती है. कश्मीर की बाढ़ हो या भुज का भूकंप, इन्होंने आगे बढ़ कर काम किया है. उत्तरकाशी के सिल्कयारा की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने में भी ये लगे रहे, इसीलिए इनके बारे में कहा जाता है कि ये रास्ता खोज लेते हैं या बना लेते हैं।
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