नांदेड़ के सरकारी अस्पताल (Nanded Governemnt Hospital) में नवजात बच्चों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. नांदेड़ में 48 घंटे में 31 मरीजों की मौत के बाद सरकार ने जांच समिति गठित की थी. इस जांच समिति की रिपोर्ट पांच दिनों के बाद भी सरकार के पास नहीं पहुंची है. इस बीच बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने नांदेड़ की घटना पर सू मोटो सुनवाई में सरकार को फटकार लगाते हुए दो सप्ताह में हलफनामा दायर करने को कहा है. उधर, शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है.
अब सवाल उठाने लगा है कि नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में हो रही मरीजों की मौत को लेकर राज्य सरकार गंभीर है या नहीं? घटना को पांच दिन का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक इस बड़ी घटना की जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी है. जांच समिति की रिपोर्ट का अब भी इंतजार किया जा रहा है.
इसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर अगंभीर होने का आरोप लगाया है. उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को सवाल पूछा कि मरीजों की मौत के बाद महाविद्यालय के डीन पर मामला दर्ज हो सकता है तो सरकार पर क्यों नहीं? उद्धव ठाकरे ने मरीजों की मौत के पीछे सरकार के भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बताते हुए मामले की CBI जांच कराए जाने की मांग की है.
उधर, बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस घटना के बाद सू मोटो सुनवाई करते हुए सरकार को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने सरकार से पिछले छह महीने में अस्पताल द्वारा की गई दवाओं की मांग और आपूर्ति की जानकारी मांगी है. हाईकोर्ट ने सरकार को दो हफ्तों में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है.
दवाओं की आपूर्ति भी सवालों के घेरे में है. टेंडर प्रक्रिया में होने वाली देरी को टालने के लिए सरकार ने नए प्राधिकरण का गठन किया, लेकिन सच्चाई यह है कि अब तक प्राधिकरण दवाओं की खरीदी के लिए रेट गार्ड तक तैयार नहीं कर सकी.
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