गैंगरेप में दो दोस्त बने थे पहरेदार, हाई कोर्ट ने माना बराबर का गुनहगार

जज सानप ने इस तर्क में कोई दम नहीं पाया कि कुणाल और अशोक को सबूतों के आधार पर गैंगरेप के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
मुंबई:

गैंगरेप के 4 दोषियों की सजा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है. इस फैसले को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे मामले में दोषी ठहराने के लिए यौन उत्पीड़न में सीधे शामिल होना ही जरूरी नहीं है. कोर्ट ने सजा के फैसले को बरकरार रखते हुए ऐसे मामलों के लिए बड़ी नजीर पेश की है, जिसमें आरोपी सीधे शामिल नहीं होते बल्कि वो किसी ना किसी तरह अपराध से जुड़े होते हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर साझा इरादे का सबूत मिलता है तो यह दोषी ठहराने के लिए यही काफी है. जज गोविंदा सानप ने 4 आरोपियों द्वारा दायर अपीलों को खारिज कर दिया, जिन्होंने चंद्रपुर सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा को चुनौती दी थी.

किस मामले में बरकरार रखी गई सजा

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक  संदीप तलंडे, कुणाल घोडाम, शुभम घोडाम और अशोक कन्नके को 14 जून, 2015 को एक महिला के साथ गैंगरेप किया गया. इसी मामले में 20 अगस्त, 2018 को कोर्ट की तरफ से 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने माना कि केवल दो आरोपियों ने महिला के साथ रेप किया, लेकिन साझा इरादे की वजह से अन्य दो को समान रूप से दोषी है. महिला और उसका दोस्त एक मंदिर में दर्शन करने के बाद एक पेड़ के नीचे बैठे थे, जब आरोपियों ने वन विभाग के अधिकारियों के रूप में उनसे 10,000 रुपये की मांग की. जब वो पैसे नहीं दे पाए तो उनके साथ मारपीट की गई और उनके मोबाइल फोन छीन लिए गए. इसके बाद संदीप और शुभम ने महिला के साथ बलात्कार किया, जबकि कुणाल और अशोक ने महिला को दोस्त को पकड़ के रखा.  दोनों आरोपियों ने पीड़िता को एक पेड़ के पीछे घसीटा, जबकि बाकी दो ने पीड़िता के दोस्त को पकड़ लिया ताकि वो बीच-बचाव ना कर सकें.

इस मामले में जज ने क्या कहा

जज ने कहा कि इससे उनके इरादों का साफ पता चलता है. इसलिए वे भी समान रूप से दोषी है, जिन्होंने महिला के दोस्त को पकड़ रखा था और उसे विरोध करने नहीं दिया. वन रक्षक के आने के बाद आरोपी घटनास्थल से भाग गए. पीड़िता और उसके दोस्त ने पुलिस को अपराध की सूचना दी, और मेडिकल जांच में रेप की पुष्टि हुई. जज ने इस तर्क में कोई दम नहीं पाया कि सबूतों के आधार पर कुणाल और अशोक को गैंगरेप के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता. जज ने कहा कि अगर उन्होंने पीड़िता के दोस्त को नहीं पकड़ा होता तो वे कानून से बच सकते थे. क्योंकि पकड़े ना जाने की स्थिति में महिला को दोस्त बीच-बचाव जरूर करता और आरोपियों को यह घिनौना कृत्य करने से रोकता. जज ने आगे कहा कि दोनों ने अन्य दो आरोपियों शुभम और संदीप द्वारा किए गए अपराध को अंजाम देने में मदद की.

Featured Video Of The Day
Mathura Road Accident: Yamuna Expressway पर घने कोहरे के चलते आपस में टकराई गाड़ियां..लगी आग | UP
Topics mentioned in this article