लालू-राबड़ी के खिलाफ कार्रवाई पर भड़के तेजस्वी पर BJP का तंज- 'CBI के खिलाफ सबूत इकट्ठा कर चले जाएं कोर्ट'

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, " अगर तेजस्वी यादव को अभी भी लगता है कि केंद्रीय एजेंसी कुछ अनुचित कर रही है, तो ‘‘उन्हें सबूत इकट्ठा करना चाहिए और संबंधित अदालत के समक्ष अपनी दलीलें देनी चाहिए."

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नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)
पटना:

बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को चुनौती दी कि अगर उन्हें लगता है कि सीबीआई (CBI) उनके अभिभावकों लालू प्रसाद (Lalu Prasad Yadav) और राबड़ी देवी (Rabri Devi) के खिलाफ गलत काम कर रही है, तो वो ‘‘सबूत के साथ'' अदालत का रुख कर सकते हैं. दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) द्वारा तेजस्वी यादव के माता-पिता के दिल्ली और पटना स्थित आवासों पर छापेमारी किए जाने के एक दिन बाद, भाजपा ने यादव को यह याद दिलाने की कोशिश भी की, कि प्रसाद की कानूनी मुश्किलें केंद्र में कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व वाले यूपीए शासन के दौरान शुरू हुई थी.

तेजस्वी ने ट्वीट कर निकाली थी भड़ास

बता दें कि राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव लंदन में हैं. उन्होंने अपने माता-पिता के नए मामले में फंसने के बारे में जानकारी होने के बाद ट्विटर पर आक्रोश व्यक्त किया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ऐ हवा, जाकर तुम कह दो दिल्ली के दरबारों से, नहीं डरा है, नहीं डरेगा लालू इन सरकारों से.'' हालांकि, यादव ने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन बीजेपी प्रवक्ता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने एक बयान में कहा, ‘‘हम समझते हैं कि लालू यादव वृद्ध और बीमार हैं व उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं, लेकिन तेजस्वी को याद रखना चाहिए कि उनके पिता की मुसीबत तब शुरू हुई थी जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार सत्ता में थी.''

बीजेपी ने कांग्रेस को ठहराया जिम्मेवार

उन्होंने कहा कि बीजेपी उस समय विपक्ष में थी और उसने चारा घोटाले को ‘‘उजागर'' करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आनंद ने कहा, ‘‘हालांकि पहली दोषसिद्धि जिसके तहत लालू यादव को अयोग्य ठहराया गया, वो भी 2013 में हुई, जब कांग्रेस सत्ता में थी. तब से, सीबीआई एक स्वतंत्र एजेंसी के रूप में काम कर रही है. अगर तेजस्वी यादव को अभी भी लगता है कि केंद्रीय एजेंसी कुछ अनुचित कर रही है, तो ‘‘उन्हें सबूत इकट्ठा करना चाहिए और संबंधित अदालत के समक्ष अपनी दलीलें देनी चाहिए. उम्मीद है कि उन्होंने न्यायपालिका में विश्वास नहीं खोया है.''

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गौरतलब है कि रेलवे भर्ती घोटाले के संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई नई प्राथमिकी प्रसाद के रेल मंत्री के तौर पर कार्यकाल के समाप्त होने के 13 साल बाद सामने आई है. राजद पदाधिकारी और कार्यकर्ता खुले तौर पर आरोप लगाते रहे हैं कि सीबीआई की यह कार्रवाई भाजपा द्वारा ‘‘प्रायोजित'' है, जो केंद्र की सत्ता में है. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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