'मुंबई में हिंदुओं को भाषा के कारण पीटा', BJP नेता आशीष शेलार ने पहलगाम हमले से की थप्‍पड़कांड की तुलना

बीजेपी नेता और मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि मैं राज ठाकरे से पूछना चाहता हूं. अगर आप तीन भाषा नीति के खिलाफ हैं, तो आपके बच्चे तीन भाषाओं वाले स्कूलों में क्यों पढ़ते हैं?

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"पहलगाम में धर्म पूछकर मारा गया, यहां भाषा पूछकर मारा जा रहा है" - आशीष शेलार
मुंबई:

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर हुई हिंसा पर बीजेपी नेता और मंत्री आशीष शेलार का बड़ा बयान सामने आया है. उन्‍होंने मुंबई के थप्‍पड़कांड की तुलना जम्‍मू-कश्‍मीर में हुए पहलगाम आतंकी हमले से की है. आशीष शेलार ने कहा कि पहलगाम में लोगों को उनके धर्म के आधार पर मारा गया और यहां मुंबई में हिंदुओं को सिर्फ उनकी भाषा के कारण मारा जा रहा है. आखिर फर्क क्या है इन दोनों में?

राज-उद्धव की जोड़ी पर तंज
आशीष शेलार ने कहा, 'जब दो भाई साथ आते हैं, तो हमें खुशी होती है. हम संयुक्त परिवार व्यवस्था को मानते हैं, लेकिन कल की रैली में एक भाषण अधूरा था और दूसरा पूरी तरह अप्रासंगिक. राज ठाकरे का भाषण अधूरा था और उद्धव ठाकरे का भाषण सत्ता खोने के दर्द से भरा हुआ था. उनके हर शब्द से झलक रहा था कि उन्हें कुर्सी कितनी याद आ रही है.'

अमित शाह पर राज ठाकरे की टिप्पणी को लेकर पलटवार
उन्‍होंने कहा, 'राज ठाकरे ने अमित शाह पर जो कहा, वो उनके मन का डर दिखाता है. अमित शाह ने कभी मराठी बनाम हिंदी पर बयान नहीं दिया. उनका बयान अंग्रेजी मानसिकता और अंग्रेजी भाषा के वर्चस्व के खिलाफ था न कि किसी क्षेत्रीय भाषा के खिलाफ.

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राज ठाकरे से सवाल
बीजेपी नेता और मंत्री आशीष शेलार ने कहा, 'मैं राज ठाकरे से पूछना चाहता हूं. अगर आप तीन भाषा नीति के खिलाफ हैं, तो आपके बच्चे तीन भाषाओं वाले स्कूलों में क्यों पढ़ते हैं? क्या महाराष्ट्र के बाकी बच्चों को इसका अधिकार नहीं है? राज ठाकरे के बच्चे बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल में पढ़े हैं. पर उन्होंने कभी नहीं कहा कि इसका नाम ‘मुंबई स्कॉटिश' होना चाहिए. 

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MNS कार्यकर्ताओं की हिंसा पर
MNS कार्यकर्ताओं की हिंसा पर उन्‍होंने कहा कि यह घटना दुखद और निंदनीय है. यहां भाषा के नाम पर हिंसा हो रही है. यह वैसा ही है, जैसे पहलगाम में धर्म के नाम पर हिंसा हुई थी; 

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हिंदी-मराठी बहस पर
मंत्री आशीष शेलार ने हिंदी-मराठी बहस पर कहा कि मेरे मुस्लिम दोस्त हैं, उनके बच्चे अंग्रेजी मीडियम में पढ़ते हैं, वो मेरे कार्यक्रमों में आते हैं, हिंदी में भाषण भी देते हैं. लेकिन जब कोई दूसरी भाषा बोलता है, तो अचानक मुद्दा बना दिया जाता है. लोग अब सब समझ रहे हैं. उद्धव ठाकरे सत्ता के बिना नहीं रह सकते. कुर्सी के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं, न विचारधारा मायने रखती है, न मराठी अस्मिता, न महाराष्ट्र. जब उन्हें मुख्यमंत्री पद नहीं मिला, तो बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस-एनसीपी के पास चले गए और वहां कुर्सी हथिया ली. अब बीएमसी की कुर्सी चाहिए, इसलिए किसी भी मंच पर जाने को तैयार हैं. हम मराठी लोगों और हिंदुओं की रक्षा करने वाले हैं. हम विकास की राजनीति करते हैं, नफरत की नहीं. चुनाव में हम विकास के मुद्दे पर जाएंगे. उद्धव का भाषण सत्ता की भूख से भरा था, और कांग्रेस का अब मुंबई में कोई अस्तित्व नहीं बचा है. मराठी समाज कांग्रेस की असलियत जान चुका है.

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