कर्नाटक BJP अध्यक्ष बनाकर हाईकमान ने जूनियर येदियुरप्पा में दिखाया विश्वास, नाराज नेताओं को साथ लाना होगी बड़ी चुनौती 

येदियुरप्पा भांप गए थे कि केंद्रीय नेतृत्व उनके बाद उनके बेटे के साथ खड़ा है और तभी से अटकलें लगाई जा रही थी कि पार्टी में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी.

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येदियुरप्पा बेटे बी वाई विजयेंद्र के साथ.
बेंगलुरू:

बीजेपी हाईकमान ने कर्नाटक में एक बार फिर से येदियुरप्पा पर भरोसा जताया है. बीएस येदियुरप्पा के बेटे बी वाई विजयेंद्र को कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. उनसे पहले नलिन कतील इस ज़िम्मेदारी को संभाल रहे थे और उनका कार्यकाल खत्म हो गया था. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद विजयेंद्र ने कहा कि सभी को साथ लेकर लोकसभा की 28 में से 25 सीटें जीतना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत करना मेरा लक्ष्य है.

बी वाई विजयेंद्र की पहचान
50 साल के बी वाई विजयेंद्र येदियुरप्पा के बेटे हैं. फिलहाल वो अपने पिता येदियुरप्पा के विधानसभा क्षेत्र शिकारीपुरा से विधायक हैं. पेशे से वकील विजयेंद्र पिछले एक दशक में अपने पिता के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर उभरे हैं. येदियुरप्पा 80 साल के हैं, ऐसे में पिछले एक दशक के दौरान येदियुरप्पा के फैसलों और कार्यान्वयन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. उनकी क्षमताओं से प्रभावित होकर बीजेपी ने पहले उन्हें पार्टी का प्रदेश महासचिव और 2020 में प्रदेश पार्टी उपाध्यक्ष बनाया. 2020 के बाद हुए विधानसभा के कुछ उपचुनावों की ज़िम्मेदारी भी पार्टी ने उन्हें स्वतंत्र रूप से दी और उन्होंने विपक्षी दलों की सीटें  बीजेपी की झोली में डाल दी.

आसान नहीं है विजयेंद्र की राह
कर्नाटक में बीजेपी की सफलता येदियुरप्पा के उत्कर्ष से जुड़ा है. येदियुरप्पा के बारे में आम धारणा है कि वो किसी की नहीं सुनते, मनमानी करते हैं. ऐसे में दिवंगत बीजेपी नेता अनंत कुमार से लेकर कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं से उनके रिश्ते बिगड़े. मौजूदा समय में बसवन गौड़ा पाटिल खुलकर येदियुरप्पा के खिलाफ बयान देते हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी एल संतोष और येदियुरप्पा के बीच अनबन की कहानी किसी से छुपी नहीं है. हालांकि दोनों में से किसी ने एक-दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर कभी बयानबाज़ी नहीं की.

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हाल में हुए विधानसभा चुनावों के वक़्त टिकट बंटवारे के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सिटी रवि से जब ये पूछा गया कि, येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को शिकारीपुरा से टिकट देने की बात चल रही है, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है. तो सिटी रवि ने इसका विरोध किया और कहा कि, उनकी पार्टी किसी की जागीर नहीं, यहां फैसले बंद कमरे में नहीं होते, बल्कि पार्लियामेंट्री बोर्ड करती है.

उन बीजेपी नेताओं की लंबी फेहरिस्त है, जो कर्नाटक बीजेपी को येदियुरप्पा के साये से दूर रखना चाहते थे. उनमें बसवन गौड़ पाटिल यत्नाल, ईश्वरप्पा, बी एल संतोष, सिटी रवि, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नलिन कतील और कमोबेश बसवराज बोम्मई प्रमुख हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री बनवाने में येदियुरप्पा ने अहम भूमिका निभाई थी. यानी येदियुरप्पा विरोधी खेमे को संभालना विजेंद्रा की पहली बड़ी चुनौती है. इसीलिए येदियुरप्पा ने कहा कि "मैंने विजयेंद्र से कहा है कि वो सबको साथ लेकर चले, ये सुनिश्चित करे कि सभी उनके साथ खड़े हों."

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24 मार्च 2023 को अमित शाह ने दिए थे अहम संकेत
सिटी रवि के येदियुरप्पा के खिलाफ दिए बयान के बाद येदियुरप्पा नाराज़ थे. पार्टी आलाकमान ने सिटी रवि को खड़ी खोटी सुनाई, लेकिन इसके फौरन बाद जो हुआ उसने येदियुरप्पा को भी चौंकाया. दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बेंगलुरू में येदियुरप्पा के घर सुबह के नाश्ते के लिए पहुंचे. विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर थी. अमित शाह को जब येदियुरप्पा फूलों का गुलदस्ता देने आगे बढ़े तो अमित शाह ने उन्हें रोक दिया और कहा कि वो गुलदस्ता विजयेंद्र के हाथों से लेंगे. येदियुरप्पा भांप गए कि केंद्रीय नेतृत्व उनके बाद उनके बेटे के साथ खड़ा है और तभी से अटकलें लगाई जा रही थी कि पार्टी में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. अब विजेंद्रा को प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया है.

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