विकास और सामाजिक न्याय के मसले पर बीजेपी और अपना दल साथ-साथ : अनुप्रिया पटेल

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल से NDTV की खास बातचीत : कहा- एक पार्टी दूसरी पार्टी के आइडेंटिटी को खत्म कर दे, ऐसा नहीं होता

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नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के चुनाव ...सिर पर हैं. ये राजनीतिक दलों का इम्तिहान है. ये लोकतंत्र का भी इम्तिहान है. एक महीने तक ये सफर सात चरणों में चलेगा. पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होने जा रहा है. इसमें सभी राजनीतिक दल अपना-अपना समीकरण बिठाने की कोशिश कर रहे हैं. प्रत्याशियों का समीकरण, जातियों का समीकरण, धर्म का समीकरण, क्या मुद्दा चलेगा क्या मुद्दा नहीं चलेगा इसका समीकरण, कमेस्ट्री काम करेगी या अर्थमेटिक उसका समीकरण, घटक दलों का समीकरण. इसी में एक मुद्दा और अहम हो जाता है कि उत्तर प्रदेश में जो NDA के घटक दल हैं, वे अपने आप को किस समीकरण में और कहां देखते हैं? इन्हीं सब सवालों पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने NDTV से खास बातचीत की.

सवाल :  अखिलेश यादव विपक्ष में जो जातीय गणित बिठा रहे हैं, आप उसे किस तरह से देखती हैं?
जवाब : नेताओं का जो आना-जाना चलता है उसके बारे में मेरा ये मत है कि चुनाव के दौरान जब ऐसे निर्णय लिए जाते हैं तो जनता के बीच ये संदेश जाता है कि ये फैसले पर्सनल पॉलिटिकल बेनेफिट्स को ध्यान में रखकर लिए गए हैं. क्योंकि सभी लोगों को चुनाव में जाना है और जाहिर तौर से जो सदन में रहा है वो चाहता है कि उसे दुबारा टिकट मिले, वो चुनाव लड़े. कई बार ऐसा होता है कि हम जिस पार्टी में होते हैं उस पार्टी से टिकट मिलने की संभावना कम होती है तो हम दूसरे विकल्प तलाशते हैं. चुनाव के ठीक पहले ऐसे निर्णय लेने से जनता के बीच में सकारात्मक संदेश नहीं जाता है.

सवाल : ओमप्रकाश राजभर का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी 'एक यूज एंड थ्रो' पार्टी है, इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब : मैं इस संभावना से इनकार नहीं करती कि ओमप्रकाश राजभर जी का भारतीय जनता पार्टी के साथ कुछ कटु अनुभव रहा होगा, लेकिन साथ में मैं एक और बात जोड़ूंगी कि कभी भी दो दल, तीन दल, चार दल आपस में साथ में आते हैं तो दोनों को एक-दूसरे के इंट्रेस्ट को एकोमोडेट करना पड़ता है. दोनों में साथ में चलने की भावना बराबर होनी चाहिए. कोई भी गठबंधन तभी चलता है जब सब आपस में सहमति बनाते हैं और आवेश में निर्णय नहीं लेते हैं. अब वो गए हैं तो कोई ना कोई आरोप लगाएंगे ही, अपने तरीके से उन्होंने आरोप लगाए भी हैं. लेकिन मैं कहूंगी कि गठबंधन में रहते तो अच्छा रहता.

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सवाल : जिस तरह बीजेपी ने जयंत चौधरी को पार्टी में आने का न्योता दिया, आपको नहीं लगता कि राजभर जी पार्टी में आ जाएं तो बीजेपी को फायदा होगा?
जवाब : गठबंधन चलते हैं जब साथ में चलने वाले सहयोगियों में दोनों तरफ इच्छा होती है. अगर एक व्यक्ति चाहेगा और दूसरा नहीं चाहेगा तो ये संभव नहीं है. अपना कुनबा बड़ा करने का प्रयास तो हर कोई करता है. मैं आज भी कह रही हूं अगर आएंगे तो अच्छा है और नहीं आने का निर्णय है तो भी कोई समस्या नहीं है. एनडीए गठबंधन सरकार बनाने जा रहा है ये मैं पूरे विश्वास के साथ कह रही हूं.

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सवाल : रामपुर में ये कैसा समीकरण बैठा कि अकेला 'अपना दल' मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा करेगा? 
जवाब : देखिए कोई भी नया सहयोगी जुड़ेगा हमारे साथ तो ताकत बढ़ेगी. राजभर जी गए हैं तो निशाद जी आए हैं, अपनी ताकत लेकर. हमारे गठबंधन का आकार बढ़ा है. उनकी जगह कोई भी सहयोगी आएगा तो अपने साथ कोई ना कोई ताकत लेकर आएगा और गठबंधन को मजबूत करेगा. ये बात सबके लिए बराबर है.

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सवाल : बीजेपी की छवि मुस्लिम विरोधी है. ऐसे में आपका मुस्लिम उम्मीदवार कितना कंफर्टेबल है?
जवाब : मैं अपना दल के बारे में एक बात बताती हूं. हमारी पार्टी से जीतने वाला पहला विधायक मुस्लिम था. उनका नाम हाजी मुन्ना था. अपना दल ने कभी भी अल्पसंख्यक के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं. हमारी पार्टी के शुरुआती दौर से हमारे कई प्रदेश अध्यक्ष भी मुस्लिम समाज से रहे हैं. हमने जिसे चुना है वो युवा और साफ छवि वाले हैं. इन्होंने जिस तरह से काम किया है. यहां की जनता निश्चित रूप से इन्हें चुनेगी.

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सवाल : यूपी चुनाव में बीजेपी अपनी सफलता नहीं गिना सकती, इसलिए मुद्दों से भटका रही है. ये विपक्ष का आरोप है. आपको क्या लगता है मुद्दा क्या है?
जवाब : अपना दल एक अलग राजनीतिक पार्टी है. भारतीय जनता पार्टी एक अलग राजनैतिक दल है. दो दल साथ में आए हैं गठबंधन के तहत लेकिन उनके अपने वैचारिक कमिटमेंट अलग होते हैं. और बीजेपी के अपने वैचारिक कमिटमेंट से अपना दल के छवि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. हमारी पार्टी एक पिछले दबे समाज के लिए काम करती है. भारतीय जतना पार्टी अपनी छवि गढ़ने का काम करेगी. अपना दल अपनी छवि गढ़ने का काम स्वयं करता है.

सवाल : आप एक ऐसे दल के साथ जुड़ी हैं, जिस पर हिंदू-मुस्लिम करने का आरोप लगता है? आपका क्या कहना है?
जवाब : हमारी आइडियालॉजी बीजेपी के समान कैसे हो सकती है, हम दो अलग दल हैं. हमारी पार्टी पूरे तरिीके से दर किनारे वर्ग के लिए काम करती आई है, अपने गठन के समय से. हम सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ते आए हैं. दबे कुचले वर्ग के लिए लड़ाई लड़ते हैं. हम हमेशा कमजोरों के लिए खड़े हैं. बीजेपी अपनी आइडियालॉजी को बढ़ाती है. हम अपने आइडियालॉजी को बढ़ाते हैं. हम साथ में विकास के मसले पर आए हैं. सामाजिक न्याय के सवालों पर आए हैं. एक पार्टी दूसरी पार्टी के आइडेंटिटी को खत्म कर देगी, ऐसा नहीं होता. 

सवाल : अखिलेश यादव 'अन्न का संकल्प' ले रहे हैं, आप इसको किस तरह से देखती हैं?
जवाब : अपना दल और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन है. उत्तर प्रदेश में एनडीए की सरकार थी और विपक्ष कह रहा है कि असली मुद्दों पर बात नहीं हो रही है. जो ये आरोप लगा रहे हैं मैं उनसे ये सवाल करना चाहूंगी  कि आपकी नज़र में असली मुद्दा क्या है? विकास और उसका रिपोर्ट कार्ड जारी करना असली मुद्दा नहीं है. पांच साल भरोसा किया यूपी के मतदाता ने, और जो हमने काम किया है उसका रिपोर्ट कार्ड दिखाना मुद्दा कैसै नहीं है. विपक्ष की नज़र में असली मुद्दा क्या है, ये उनको बताना चाहिए.

सवाल : पिछले चुनावों में भारी से भारी संख्या में सभी जातियों ने NDA को वोट दिया था. लेकिन इस बार लगता है वोट शेयर छिटक सकता है. आपकी माता सपा में हैं और आप NDA में?
जवाब : विकास के मुद्दे पर स्पष्ट रूप से अपनी उपलब्धियों को निरंतर बता रहे हैं. हर जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की है. हमारे उत्तर प्रदेश राज्य को एक दूसरा ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस मिला है. प्रदेश में हम स्पोर्टस् यूनिवर्सीटी बना रहे हैं. प्रदेश में हम आयुष यूनिवर्सिटी बना रहे हैं. प्रदेश में हमने करोड़ों लोगों को पक्के मकान दिए हैं. शौचालय दिए हैं, गेस का सिलेंडर दिया है. बैंक का खाता दिया है. आयुष्मान भारत का हेल्थ इंश्योरेंस दिया है. ये सारे विकास के काम हैं. हम हाईवे बना रहे हैं, मार्डन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बना रहे हैं. मेट्रो कितने शहरों में आई है. तो विकास के मुद्दे पर सरकार कहां पीछे है? कोरोना के दौर में बेरोजगारी का सवाल खड़ा हुआ है, लेकिन कोरोना की कल्पना किसी ने की थी क्या? कोरोना अकेले भारत में आया है? इसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है. हम धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. आने वाले बजट के जरिए हमारी वित्त मंत्री एक ऐसा रास्ता निकालेंगी कि एक तरफ लोगों के हितों का संरक्षण भी हो और दूसरी तरफ सरकार के राजस्व का विस्तार भी हो. मैन्युफेक्चुरिंग को बढ़ावा मिले, जो रोजगार परक होगा.

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