बाइक बोट घोटाला कांड के आरोपी को रिहा करने के आदेश के बावजूद हिरासत में रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ जांच अधिकारी के रवैए की भी निंदा की है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और उसके अधिकारियों को भविष्य में सावधान रहने को कहा है. 

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ जांच अधिकारी के रवैए की भी निंदा की है
नई दिल्ली:

बाइक बोट घोटाला कांड के आरोपी विजय शर्मा को जमानत पर रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद हिरासत में रखने पर यूपी  पुलिस और मजिस्ट्रेट के रवैए पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ जांच अधिकारी के रवैए की भी निंदा की है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और उसके अधिकारियों को भविष्य में सावधान रहने को कहा है. 

कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के आदेशों के प्रति ऐसा रवैया बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने पिछले साल 13 दिसंबर को विजय कुमार शर्मा को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. लेकिन मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद शर्मा को बारह दिन की पुलिस रिमांड पर 24 दिसंबर तक के लिए भेज दिया था. 

पश्चिम बंगाल चुनाव हिंसा में हत्या के मामले में ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट को SC से बड़ी राहत

बुधवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस खानविलकर ने कहा कि हमने तो न्याय के हित में संविधान के अनुच्छेद 142 में अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. हालांकि आर्थिक धोखाधड़ी के एक ही जैसे आरोप में शर्मा के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज थीं. जस्टिस खानविलकर और जस्टिस सीटी रवि कुमार ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि शर्मा को पिछले आदेश के मुताबिक जमानत पर रिहा करें. 

साथ ही संबंधित अधिकारियों को कहा है कि 13 दिसंबर को जारी आदेश के मुताबिक शर्मा के खिलाफ बाइक बोट मामले में दर्ज सभी FIR पर कार्रवाई सुनिश्चित करें.आदेश की कॉपी उत्तर प्रदेश सरकार के गृह सचिव को भी भेजी है ताकि वो जिम्मेदार अफसर के खिलाफ कार्यवाही कर सकें. 

Featured Video Of The Day
Punjab-Haryana Water Dispute: पंजाब-हरियाणा जल विवाद क्या है? क्यों हुआ? | Explainer | NDTV India
Topics mentioned in this article