Bihar Elections: बुर्का, हिजाब या पल्‍लू में आने वाली महिलाओं की पोलिंग बूथ पर कैसे हो रही पहचान, महिला मतदानकर्मी ने ही बताया

Bihar Burqa Voting Rules 2025: बिहार चुनाव में बुर्का, हिजाब या पल्‍लू ओढ़कर आने वाली महिलाओं की पहचान कैसे होती है? NDTV ने ग्राउंड से जाना महिला मतदानकर्मी से पूरी प्रक्रिया

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Bihar Elections 2025 Burqa Voting: बिहार में वोटिंग से पहले पर्दानशीं महिलाओं की पहचान की एक सामान्‍य प्रक्रिया है.

Bihar Burqa Row: बिहार चुनाव को लेकर आज मंगलवार को दूसरे चरण के तहत 122 सीटों पर वोटिंग हो रही है. इनमें मुस्लिम बाहुल्‍य सीमांचल की 24 सीटें भी शामिल हैं. तमाम मतदान केंद्रों पर पर्दानशीं महिला वोटर्स की पहचान के लिए चुनाव आयोग के नियमानुसार जांच हो रही है, जिसके बाद उन्‍हें वोट देने दिया जा रहा है. फिर चाहें वे महिलाएं बुर्के में हों, पल्‍लू लटकाए हुई हों या फिर घूंघट में चेहरा ढके हुई हों. उद्देश्‍य यही कि किसी मतदाता का वोटिंग का अधिकार प्रभावित न हो, उनकी जगह कोई दूसरा, या कोई फर्जी वोटर गलत तरीके से वोट न डाल सके. इन पर्दानशीं महिलाओं की जांच पूरी गरिमा के साथ किए जाने के नियम हैं. इस बारे में सीमांचल की एक मतदानकर्मी ने NDTV को जानकारी दी.

महिला मतदानकर्मी ने बताई प्रक्रिया?

सीमांचल के अररिया जिले में एक मध्‍य विद्यालय में कार्यरत शिक्षिका सुमन सौरव की ड्यूटी मतदानकर्मी के रूप में उसी मतदान केंद्र पर लगाई गई है. उन्‍हें पूरी गरिमा के साथ पर्दानशीं महिलाओं की पहचान का काम दिया गया है. इसके लिए बकायदा चुनाव आयोग ने पिछले दिनों ट्रेनिंग भी दी थी. 40 वर्षीय सुमन, पिछले चुनावों में भी कई बार वोटिंग ड्यूटी कर चुकी हैं.

उन्‍होंने बताया कि मतदान केंद्र पर महिला वोटर्स की एक अलग कतार लगवाई जाती है. जो महिलाएं घूंघट या बुर्के में होती हैं या फिर दुपट्टे-पल्‍लू वगैरह से जिनका चेहरा ढका होता है, EVM वाले कमरे में जाने से पहले यानी वोट डालने से पहले उनकी पहचान की जाती है.

उन्‍होंने बताया कि पूरी प्रक्रिया में भेदभाव जैसा कुछ भी नहीं है. सभी महिलाओं की पहचान का यही नियम है. जब वो पूर्णिया जिले के बायसी में पोस्‍टेड थीं, तो उनकी मुस्लिम महिला सहकर्मी भी इस ड्यूटी में लगाई जाती थीं. 

उन्‍होंने बताया इसके लिए मतदान केंद्र पर ही अलग से एक कमरा होता है, या फिर पर्दे से एक सुरक्षित घेरा बनाया जाता है, जहां बाहर से कुछ दिखाई न दे. महिलाओं की प्राइवेसी को ध्‍यान में रखते हुए इसी घेरे या कमरे में उनका चेहरा मिलान किया जाता है. मतदानकर्मी सुमन ने बताया कि पर्दानशीं महिलाओं के पास आधार, वोटर आईडी या अन्‍य वैध पहचान पत्र होता है, उससे और वोटर लिस्‍ट में उनकी फोटो से उनका चेहरा मिलान किया जाता है. सही रहने पर उन्‍हें वोट डालने दिया जाता है.

टीएन शेषण के समय से ही आयोग का आदेश

निर्वाचन आयोग के एक प्रवक्ता ने पिछले दिनों कहा था कि अक्टूबर 1994 में निर्वाचन आयोग ने मतदान केंद्रों पर बुर्का पहनकर आने वाली महिला मतदाताओं की पहचान के लिए एक सम्मानजनक तरीका अपनाने का आदेश दिया था. यह आदेश 21 अक्टूबर 1994 को जारी हुआ था. तब टी एन शेषन निर्वाचन आयोग के प्रमुख थे. आदेश में कहा गया था कि महिला मतदाताओं की गोपनीयता के प्रति संवेदनशीलता की रक्षा के लिए मतदान केंद्र में पर्दानशीं महिलाओं की पहचान के लिए अलग घेरा बनाया जाना चाहिए.

ओवैसी ने भी दिया था इन्‍हीं नियमों का हवाला

NDTV के साथ बातचीत में पिछले दिनों AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग के इन्‍हीं नियमों का हवाला दिया था. बुर्के पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह के बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्‍होंने कहा था कि बुर्का, हिजाब, पल्‍लू... पर नियम ऑलरेडी बने हुए हैं. ओवैसी ने कहा, 'चुनाव आयोग मतदानकर्मियों को जो हैंडबुक देता है, उसमें बकायदा एक अलग से सेक्‍शन है, जिसमें बुर्का, हिजाब, दपट्टा, पल्‍लू वगैरह पहनकर आने वालों की पहचान करने का तरीका बताया हुआ है. तो फिर इनको (गिरिराज सिंह को) अलग से याद दिलाने की क्‍या जरूरत है.' उन्‍होंने 'बुर्के पर बवाल' को बीजेपी के लिए ही काउंटरप्रोडक्टिव बताया था. इसके पीछे उन्होंने तर्क भी दिए थे. (क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर)

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