बिहार में जाति आधारित गणना मामले में नया पेंच आ गया है. सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को आधी सुनवाई के बीच इस मामले में केंद्र सरकार की एंट्री हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से एक हफ्ते का समय मांगा. यह मांग सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मान ली गई है. अब अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी.
सुप्रीम कोर्ट में बिहार की जातीय गणना पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वो कुछ सबमिशन दाखिल करना चाहते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक हफ्ते का समय दे दिया. ये सुनवाई तो छोटी थी, लेकिन इसका बिहार में बहुत बड़ा असर हुआ. सॉलिसिटर जनरल के हस्तक्षेप करने पर जनता दल यूनाइटेड ने आपत्ति जताई.
ललन सिंह ने बीजेपी और मोदी सरकार पर लगाए आरोप
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाया है. ललन सिंह ने कहा, "केंद्र सरकार जातिगत गणना की विरोधी है. बीजेपी अब तक पर्दे के पीछे से खेल रही थी. अब पर्दे के सामने आकर विरोध जता दी है." ललन सिंह ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट की सोमवार की सुनवाई में देश के सॉलिसिटर जनरल ने आकर कहा है कि इस पर वो भी कुछ कहना चाहते हैं. सॉलिसिटर जनरल की अपील को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मान लिया गया है. एक सप्ताह का समय दिया गया है."
सर्वे पर रोक लगाने ने कोर्ट का इनकार
वहीं, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने की अपील दोबारा खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि पहली नजर में मामला बनने पर ही रोक लगाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना कोई रोक नहीं लगाई जा सकती.
निजी डेटा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता-SC
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निजी डेटा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का निजता के अधिकार से जुड़े फैसले के मुताबिक यह निजता का हनन होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके दो भाग है पहला डेटा इकट्ठा करना जो हो चुका है - दूसरा विश्लेषण जो थोडा कठिन काम है.
1 अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिकाएं
इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं 1 अगस्त को खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है. इसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था.
जाति आधारित गणना के लिए 500 करोड़ की राशि अलॉट
सरकार की तरफ जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को लिए सरकार की तरफ से 500 करोड़ की राशि अलॉट की गई है. तर्क दिया गया है कि जातीय गणना के मुताबिक, नीतीश कुमार सरकार सिर्फ लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी लेना चाहती है. इससे उनकी बेहतरी के लिए योजना बनाई जा सके.
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