SC का बड़ा फैसला : महाराष्ट्र स्थानीय चुनाव में OBC आरक्षण नहीं मिलेगा, आरक्षित सीटें सामान्य सीटों में तब्दील

ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें सामान्य सीटों में तब्दील कर दी गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा बिना ज़रूरी आंकड़े जुटाए आरक्षण दिया गया.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव में ओबीसी (OBC)आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. बताया जा रहा है कि अब महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव में ओबीसी आरक्षण नहीं मिलेगा. ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें सामान्य सीटों में तब्दील कर दी गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना रद्द कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा बिना ज़रूरी आंकड़े जुटाए आरक्षण दिया गया. इन सीटों को भी सामान्य सीट मानते हुए चुनाव करवाया जाए. वहीं कोर्ट ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग तुरंत एक अधिसूचना जारी करे कि OBCआरक्षण सीटों को सामान्य सीट माना जाएगा. 

कोर्ट ने कहा कि अपने 6 दिसंबर के आदेश में किसी तरह की तब्दीली से इंकार करते हुए कहा कि राज्य चुनाव आयोग अपनी पिछली अधिसूचना में बदलाव करते हुए हफ्ते भर में नई अधिसूचना जारी करे. उस अधिसूचना में पिछड़े वर्गों के लिए 27 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को रद्द करते हुए बाकी बची 73 फीसदी सीटें सामान्य श्रेणी के लिए रखे जाने की नई अधिसूचना एक हफ्ते में जारी करने का आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिया है. 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में  OBC उम्मीदवारों के लिए 27% आरक्षित सीटों पर रोक लगा दी थी .

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को चुनाव में 27 फीसदी आरक्षण के साथ आगे ना बढ़ने को कहा था . SC ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना OBC आरक्षण के लिए अध्यादेश लाने के राज्य सरकार के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता जो अनिवार्य है. अध्यादेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 27% OBC कोटा  आयोग की स्थापना के बिना और स्थानीय सरकार के अनुसार प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के बारे में डेटा एकत्र किए बिना लागू नहीं किया जा सकता.

Advertisement

सामान्य वर्ग सहित अन्य आरक्षित सीटों के लिए शेष चुनाव कार्यक्रम आगे बढ़ सकता है. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी . याचिका में महाराष्ट्र के अध्यादेश को चुनौती दी थी, जिसने स्थानीय निकाय चुनावों में 27% ओबीसी कोटा पेश किया था और इसके परिणामस्वरूप राज्य चुनाव आयोग द्वारा उसी को प्रभावी बनाने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी. 

Advertisement

कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना अध्यादेश लाई . ट्रिपल परीक्षण हैं (1) राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर अनुभवजन्य जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना; (2) आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो; और (3) किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Hemant Soren के खिलाफ BJP के भ्रष्टाचार के आरोप पर Kalpana Soren का पलटवार
Topics mentioned in this article