बीबीसी ने भारत में अपना न्यूज़रूम प्रकाशन लाइसेंस एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, कलेक्टिव न्यूज़रूम (Collective Newsroom) को सौंप दिया है. बीबीसी की तरफ से दुनिया भर में अपने संचालन को लेकर पहली बार ऐसा कदम उठाया गया है. यह कदम आयकर विभाग द्वारा इसके कार्यालयों की तलाशी के एक साल बाद उठाया गया है. बीबीसी के चार पूर्व कर्मचारियों द्वारा स्थापित कलेक्टिव न्यूज़रूम 10 अप्रैल से कार्य शुरू करेगा. यह पूरी तरह से भारत बेस्ड कंपनी है, जो बीबीसी की डिजिटल सेवाओं के लिए अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल और तेलुगु में कंटेंट तैयार करेगा.
बीबीसी के लिए किसी अन्य इकाई को प्रकाशन का लाइसेंस देना अभूतपूर्व : रूपा झा
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के अनुसार, कलेक्टिव न्यूज़रूम प्राइवेट लिमिटेड की पिछले साल 27 अक्टूबर को शुरुआत हुई. कलेक्टिव न्यूज़रूम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूपा झा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "बीबीसी के लिए किसी अन्य इकाई को प्रकाशन का लाइसेंस देना अभूतपूर्व है... हालांकि हम अपनी पत्रकारिता से समझौता नहीं करेंगे और बीबीसी पूरी तरह से हमारे साथ है. उन्होंने बताया, "बीबीसी के लिए किसी अन्य इकाई को प्रकाशन का लाइसेंस देना अभूतपूर्व है... हम अपनी पत्रकारिता से समझौता नहीं करेंगे और बीबीसी पूरी तरह से हमारे साथ है."
"बीबीसी के संपादकीय दिशानिर्देशों का रखेंगे ध्यान"
रूपा झा ने एनडीटीवी के साथ बात करते हुए कहा, "हमने सिर्फ बीबीसी के साथ अनुबंध नहीं किया है. बीबीसी हमारा पहला क्लाइंट है. हमारा बीबीसी के साथ प्रोडक्शन को लेकर समझौता है, और हम बीबीसी के लिए इसकी छह अलग-अलग भाषा सेवाओं और भारत के अंग्रेजी यूट्यूब चैनल पर कंटेंट बनाएंगे."साथ ही उन्होंने कहा कि हम BBC के लिए कंटेंट तैयार करते समय बीबीसी के संपादकीय दिशानिर्देशों को ध्यान में रखेंगे, जैसे कि बीबीसी किस प्रकार की पत्रकारिता करता है. बीबीसी ब्रांड में विश्वास को कायम रखना हमारी जिम्मेदारी है.
क्यों करना पड़ा बदलाव?
रूपा झा ने कहा कि "हम जो करेंगे वह पूरी तरह से बीबीसी के पत्रकारिता मूल्यों के अनुरूप होगा. हमें बीबीसी पर भरोसा है, और बीबीसी को हम पर भरोसा है; इसीलिए हम यह सब कर रहे हैं. हमें ऐसी पत्रकारिता करनी है जिसपर लोग भरोसा करते हैं." यह फैसला एफडीआई के नए नियमों को लेकर किया गया है. जो सरकार ने 2020 में बनाया था. जिसके तहत डिजिटल मीडिया क्षेत्र में 26% एफडीआई की सीमा तय की गयी थी. रूपा झा ने कहा कि हमारे सामने कई विकल्प थे. लेकिन हम चाहते थे कि भारत में न ही हमारी उपस्थिति कम हो और न ही नौकरियों में कटौती हो. इसलिए लीक से हटकर सोचने के लिए हम मजबूर हुए. गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में बीबीसी के दिल्ली और मुंबई कार्यालयों में आयकर विभाग के द्वारा तलाशी ली गयी थी.
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