जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने पर बार को ऐतराज, पूछा- क्या हम कूड़ेदान हैं

सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने विवादों में आए जज यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने की सिफारिश की है. कॉलेजियम के इस फैसले का इलाहाबाद हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन ने विरोध किया है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नगदी बरामद की गई है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनका तबादले का प्रस्ताव पारित कर उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस फैसले का इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध किया है. बार का कहना है कि यह कोई 'ट्रैश बिन' (कूड़ेदान) नहीं है. जस्टिस वर्मा अक्टूबर 2021 से दिल्ली हाई कोर्ट में काम कर रहे थे. उन्हें अक्टूबर, 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था. 

क्या कहना है इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का 

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश आने के बाद बार एसोसिएशन ने कहा,''हम इस बात से अचंभित हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित कर दिया है.''

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि एक सरकार कर्मचारी के घर पर अगर 15 सौ रुपये मिलते हैं तो उसे जेल भेज दिया जाता है. लेकिन जिस जज के घर 15 करोड़ रुपये मिले हैं, उसे घर वापसी का इनाम दिया जा रहा है. उन्होंने पूछा कि क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट कूड़ेदान है. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट मजबूती से खड़ा है. उन्होंने कहा कि जस्टिस वर्मा का यहां स्वागत नहीं होगा. उन्होंने कहा किअगर उनका यहां ज्वाइन कराया जाता है तो वकील अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर चले जाएंगे. 

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से पिछले हफ्ते भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी.जस्टिस वर्मा के आवास में आग लगने के बाद यह राशि कथित रूप से बरामद की गई. इस विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस स्थानांतरित करने का फैसला लिया. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है.

दिल्ली हाई कोर्ट में कौन से मामले देखते थे जस्टिस वर्मा

जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट में बिक्री कर, जीएसटी और कंपनी अपील जैसे मामलों की सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे. उनका आठ अगस्त, 1992 को एक वकील के रूप में पंजीकरण हुआ था. जस्टिस वर्मा को 13 अक्टूबर, 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक उन्होंने एक फरवरी, 2016 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. उन्हें 11 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.
 

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