सुप्रीम कोर्ट ने आर इंफ्रा की सहयोगी कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड को 7200 करोड़ रुपये में से बकाया रुपयों का भुगतान नहीं करने पर केंद्र से नाराजगी जताई है. सर्वोच्च न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि वो सरकार से पूछकर बुधवार तक ये बताएं कि वो बकाया रुपयों का भुगतान कब करने जा रही है. सरकार भुगतान की समय सीमा बताए.
जस्टिस बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक ओर तो जनता के सामने बड़े-बड़े भाषण दिए जा रहे हैं, भारत को आर्बिट्रेशन हब यानी मध्यस्थता का केंद्र बनाएंगे, लेकिन आर्बिट्रेशन लागू करने में इतना ढीला रवैया? सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तो पालन सुनिश्चित होना चाहिए था.
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि 2700 करोड़ रुपये अदा कर दिए गए हैं. इस पर हरीश साल्वे ने कहा कि अभी भी 4500 करोड़ रुपये बचे हुए हैं. जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि बाकी बची रकम के भुगतान की क्या योजना है, ये सरकार से पूछकर बताएं. या हम भारत सरकार के खिलाफ कार्रवाई करें?
अटॉर्नी जनरल ने इसके लिए चार हफ्ते मांगे. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि अगर आप सचमुच भारत को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनाना चाहते हैं, तो शुरुआत आपको खुद से करनी होगी. आपका अब तक का एक्शन तो कोर्ट की अवमानना वाला है. अटॉर्नी जनरल से हमें ये उम्मीद नहीं थी. अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को होगी.
सितंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए आदेश दिया था कि रिलायंस इंफ्रास्टक्चर लिमिटेड ब्याज सहित लगभग 5,800 करोड़ रुपये के मध्यस्थता अवार्ड की हकदार है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2019 में अवार्ड रद्द कर दिया था. आर इंफ्रा बनाम दिल्ली मेट्रो मामले में रिलायंस इन्फ्रा ने बीओटी आधार पर दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस के लिए डीएमआरसी के साथ अगस्त 2008 में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
अक्टूबर 2012 में रिलायंस इंफ्रा ने समझौता समाप्त करने का नोटिस दिया तो डीएमआरसी ने मध्यस्थता के प्रावधान लागू करते हुए मध्यस्थता शुरू करने की मांग की. मई 2017 में आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने डीएमआरसी को आदेश दिया कि वो आर इंफ्रा को 2800 करोड़ बतौर हर्जाना और ब्याज भुगतान करे.
मार्च 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने ट्रिब्यूनल का फैसला बरकरार रखा और डीएमआरसी को हर्जाना अदा करने का निर्देश दिया. लेकिन जनवरी 2019 में डीएमआरसी को राहत देते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मध्यस्थता अवार्ड रद्द कर दिया. जनवरी 2019 तक ब्याज के साथ मध्यस्थता अवार्ड की राशि रु 4500 करोड़ हो चुकी थी. लेकिन एक अन्य फार्मूले के अनुसार यह राशि तब तक 5800 करोड़ तक पहुंच चुकी थी. फरवरी 2019 में अनिल अंबानी की आर इंफ्रा ने मध्यस्थता अवार्ड रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.