सुप्रीम कोर्ट ने असम और मेघालय के सीमा समझौते को आगे बढ़ाने की दी इजाजत

मेघालय हाईकोर्ट ने असम-मेघालय सीमा समझौते पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया है. मेघालय के मुख्यमंत्री और असम के सीएम ने मार्च 2022 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
कोर्ट तीन हफ्ते बाद अब इस मामले पर सुनवाई करेगा. 
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने असम और मेघालय के सीमा समझौते को आगे बढ़ाने की इजाजत देते हुए MOU पर रोक लगाने के मेघालय हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई दी. साथ ही हाईकोर्ट के याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि हमारा प्रारंभिक मत है कि हाईकोर्ट को समझौते पर अंतरिम रोक नहीं लगानी चाहिए थी. बिना किसी कारण के अंतरिम रोक लगाने कि जरूरत नहीं थी. कोर्ट तीन हफ्ते बाद अब इस मामले पर सुनवाई करेगा. 

इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाईकोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट के सामने रखते हुए कहा कि बिना ठोस कारण बताए हाईकोर्ट ने एमओयू पर स्टे लगा दिया है. चीफ जस्टिस ने आदेश में कहा कि एमओयू असम और मेघालय की सरकारों के मुख्यमंत्रियों के बीच पिछले साल मार्च में हुआ था. ऑरिजनल याचिकाकर्ता ने हस्तक्षेप करते हुए बताया था कि किन आधार पर एमओयू गलत है. उनके मुताबिक एमओयू में आदिवासी क्षेत्रों को भी गैर आदिवासी बताया गया है.  ये एक बड़ा संवैधानिक मुद्दा है.

दरअसल मेघालय हाईकोर्ट ने असम-मेघालय सीमा समझौते पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया है. मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड कोंगकल संगमा और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने मार्च 2022 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. जिसमें 12 विवादित स्थानों में से कम से कम छह में सीमा का सीमांकन किया गया था. जिसकी वजह से अक्सर दोनों राज्यों के बीच विवाद होता था.

Advertisement

समझौते को लेकर मेघालय के चार पारंपरिक प्रमुखों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर हाईकोर्ट ने छह फरवरी, 2023 को सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि अगली तारीख तक कोई भौतिक सीमांकन या जमीन पर सीमा चौकियों का निर्माण नहीं किया जाएगा. 

Advertisement

पारंपरिक प्रमुखों ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट से दो पूर्वोत्तर राज्यों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को रद्द करने का आग्रह किया था. दावा किया गया था कि यह संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जो आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधानों से संबंधित है. उन्होंने आरोप लगाया कि समझौता ज्ञापन पर संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त इलाकों के प्रमुखों या दरबार से परामर्श या सहमति लिए बिना हस्ताक्षर किए गए थे. याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि समझौता सैद्धांतिक रूप से संविधान के अनुच्छेद 3 के प्रावधान के विपरीत था जिसके तहत संसद विशेष रूप से मौजूदा राज्यों के क्षेत्र या सीमाओं को बदलने के लिए सक्षम है.

Advertisement

मेघालय को 1972 में असम से अलग राज्य के रूप में बनाया गया था और इसने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी थी, जिससे साझा 884.9 किमी लंबी सीमा के विभिन्न हिस्सों में 12 क्षेत्रों से संबंधित विवाद पैदा हुए थे.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Maharashtra Exit Poll: बढ़ा हुआ मतदान और नए एग्ज़िट पोल्स महाराष्ट्र में क्या कर रहे हैं इशारा?
Topics mentioned in this article