असम विधानसभा (Assam Assembly) ने 2002 के गुजरात दंगों (Gujarat Roits 2002) पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री (BBC Controversial Documentary) के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की छवि और लोकप्रियता को धूमिल करने को लेकर कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किया है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए इसकी जानकारी दी. असम से पहले गुजरात और मध्य प्रदेश विधानसभा ने भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया था.
असम विधानसभा में बीजेपी विधायक भुबन प्रगु ने कठोर कार्रवाई का संकल्प लिया. बीबीसी के खिलाफ बीजेपी के प्रस्ताव को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया के बीच तीखी बहस देखने को मिली. विपक्ष के वॉकआउट के बीच बीजेपी सरकार ने प्रस्ताव पारित किया.
सीएम ने ट्वीट किया, 'असम विधानसभा ने बीबीसी द्वारा भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय स्थिति और घरेलू अस्थिरता को बदनाम करने के लिए प्रसारित दुर्भावनापूर्ण डॉक्युमेंट्री की निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है. सदन ने सामूहिक रूप से मांग की है कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए.'
पूरा मामला क्या है
BBC ने 17 जनवरी को ‘द मोदी क्वेश्चन' डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया था. दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था. इससे पहले ही केंद्र सरकार ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया. पहले एपिसोड के डिस्क्रिप्शन में लिखा था कि ये डॉक्यूमेंट्री भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच तनाव पर नजर डालती है. गुजरात में 2002 में हुए दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका के दावों की जांच करती है.
गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट ने SIT का गठन किया था. कमेटी ने दंगों में नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुछ नहीं मिला. SIT ने कहा था कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले. जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने SIT की तरफ से मोदी को मिली क्लीन चिट को सही माना था.
भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को बताया प्रोपेगैंडा
भारत सरकार ने BBC की गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को मीडिया ब्रीफ्रिंग में कहा- 'हम नहीं जानते कि डॉक्यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार है.'
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