किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद विपक्ष ने की 4 नए श्रम कानूनों को निरस्त करने की मांग कि

देश में तीनों कृषि (Farms Law) कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद मजदूरों ने भी नए श्रम कानूनों (Labour law) को रद्द करने के लिये आवाज बुलंद कर दी है. अब श्रम सुधार के नाम पर लाए गए चार क़ानूनों पर भी विपक्ष सरकार को घेरने में जुटा है.

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नई दिल्ली:

देश में तीनों कृषि (Farms Law) कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद मजदूरों ने भी नए श्रम कानूनों (Labour law) को रद्द करने के लिये आवाज बुलंद कर दी है. अब श्रम सुधार के नाम पर लाए गए चार क़ानूनों पर भी विपक्ष सरकार को घेरने में जुटा है. उसका कहना है कि सरकार इन क़ानूनों की वापसी पर भी विचार करे. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खड़गे ( Mallikarjun Kharge) ने गुरुवार को सवाल उठाया कि "सारे ट्रेड यूनियंस (Trade Unions) ने सरकार को एक ज्ञापन दिया है की यह नए श्रम कानून उनके पक्ष में नहीं है. आपने तीन नए कृषि कानून वापस लिए हैं किसान संगठनों के दबाव में, मैं पूछना चाहता हूं क्या आप तीनों नए श्रम कानूनों को रिकंसीडर करके वापस लेने के लिए तैयार हैं?" तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद  कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को राज्यसभा में सरकार से यह सवाल पूछा.

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मल्लिकार्जुन खड़गे के इस सवाल पर श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने जवाब देने में देरी नहीं की. कहा कि नए श्रमिक कानूनों को लागू करने की प्रक्रिया जारी है. श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में मलिकार्जुन खड़गे के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "राज्य सरकारों द्वारा रूल फ्रेम किया जा रहा है. 23 राज्य अब तक नए श्रम कानूनों को सूचित (नोटिफाई) कर चुके हैं जिसमें कांग्रेस शासित राज्य सरकारें भी शामिल हैं."

देश के 10 बड़े केंद्रीय श्रमिक संगठन पिछले 1 साल से ज्यादा समय से श्रम कानूनों का विरोध कर रहे हैं और कई बार हड़ताल कर चुके है. अब कृषि कानूनों की वापसी के बाद विपक्ष नए श्रम कानूनों को वापस लेने को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ा रहा है. कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने एनडीटीवी से हुई बातचीत में कहा, "हमारी मांग है कि तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब सरकार सभी नए श्रम कानूनों को भी वापस ले. 

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आम आदमी पार्टी ने भी श्रमिक सुधार से जुड़े कानूनों को श्रमिकों के हितों के खिलाफ करार दिया है. आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह के आनुसार, "लेबर कानूनों में सरकार ने बहुत सारे संशोधन किए जो मजदूरों के बुनियादी अधिकारों को छीनने का काम करते हैं. सरकार को उन्हें वापस लेने पर विचार करना चाहिए वरना जैसे कृषि कानूनों को लेकर किसानों में आक्रोश दिखा वैसे ही मजदूरों में भी इसके खिलाफ आक्रोश बढ़ेगा."

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जबकि राष्ट्रीय जनता दल के नेता और सांसद मनोज झा ने कहा, "श्रम कानूनों में बदलाव को सुधार कहना गलत होगा. यह श्रमिकों के अधिकार को कमजोर करने के लिए लाया गया. इन्हें तत्काल वापस लिया जाना चाहिए." कृषि कानूनों के बाद अब नए श्रमिक कानूनों को लेकर सरकार और विपक्षी दल आमने सामने खड़े दिख रहे हैं. राज्यसभा से निलंबित 12 विपक्षी सांसदों को लेकर जारी गतिरोध के बीच श्रम कानूनों को वापस लेने की विपक्षी दलों की मांग से सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ सकता है.

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