'पकड़ने वाले बचाव का रास्ता ढूंढ रहे' : आर्यन खान की जमानत के बाद बोले महाराष्ट्र के मंत्री

एनसीपी नेता ने कहा कि जिन धाराओं को लेकर केस बनाया गया था उस पर किला कोर्ट में जमानत पहले ही हो जानी चाहिए थी, लेकिन एनसीबी हर बार अलग-अलग दलीलें पेश करने का काम करती है.

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नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर साधा निशाना (फाइल फोटो)

मुंबई:

आर्यन खान (Aryan Khan) से जुड़े क्रूज ड्रग्स मामले (Cruise Drugs Case) को लेकर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) ने एक बार फिर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) पर फिर निशाना दागा. आर्यन की जमानत के बाद मलिक ने शुक्रवार को कहा कि पकड़ने वाले बचाव का रास्‍ता ढूंढ रहे हैं. पकड़वाने वाले और पकड़कर ले जाने वाले जेल की सलाखों के पीछे हैं. इसीलिए मैंने कल लिखा थी कि पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त. उन्‍होंने जमानत को लेकर कहा कि जब तक किसी का गुनाह साबित नहीं हो जाता है, तब तक उसे जेल की सलाखों के पीछे रखना बहुत बड़ी नाइंसाफी है. 

एनसीपी नेता ने कहा कि जिन धाराओं को लेकर केस बनाया गया था उस पर किला कोर्ट में जमानत पहले ही हो जानी चाहिए थी, लेकिन एनसीबी हर बार अलग-अलग दलीलें पेश करने का काम करती है.  केस को उलझाने का काम करती है. झूठी बातें करती हैं. खासकर वानखेड़े के आने के बाद एनसीबी का ज्यादा से ज्यादा प्रयास रहा है कि लोग कैसे सलाखों के पीछे रहें. अगर लोग ठीक तरह से चीजें करेंगे तो ये पूरा मामला ही निरस्त हो सकता है. ऐसे हमें लगता है. जिस तरह से एक महीने के भीतर जो चीजें बदली हैं उसे देखकर लगता है कि वानखेड़े सारे हथकंडे अपना चुके हैं.

उन्होंने कहा कि वानखेड़े ने पहले कहा कि मेरे परिवार को इस मामले में घसीटा जा रहा है... मेरी मरी हुई मां को घसीटा जा रहा है. मैंने कभी उनकी (वानखेड़े की) मां का न तो नाम लिया और न कभी सार्वजनिक रूप से उन पर उंगली उठाई. मैंने जो बर्थ सर्टिफिकेट डाला था उसमें दाऊद वानखेड़े उनके पिता का नाम है, इतना ही मैंने कहा था. मैंने वानखेड़े की पहली पत्नी की तस्वीर डाली थी क्योंकि इसे सार्वजनिक करने की इच्छा जताई गई थी. उनकी वर्तमान पत्नी का न मैंने कभी नहीं लिया और न उनके बारे में कोई टिप्पणी की. 

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मलिक ने कहा, "ये लड़ाई किसी के धर्म के प्रति नहीं... किसी के परिवार के प्रति नहीं है बल्कि ये लड़ाई नाइंसाफी के खिलाफ है." आज भी मुंबई की जेलों में 100 से ज्यादा लोग बंद हैं, जिन्हें नाजायज तरीके से फंसाया गया. स्पेशल 26 वाला एक खत अपने डीजी एनसीबी को लिखा था. पहले जांच की बात कही गई थी. 26 मामलों की हम जांच की मांग करते हैं. एक मामले में नाइजीरियन ड्रग पैडलर भाग गया.  कहा गया कि सभी नाइजीरियन नागरिक डृग्स बेचते हैं... ये कहना गलत है."

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