सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को दिल्ली सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उसके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछा और जानना चाहा कि क्या उसके द्वारा लगाए गए स्मॉग टावर काम कर रहे हैं. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ओर न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से कहा, "दिल्ली सरकार ने कहा है कि उसने स्मॉग टॉवर लगाए हैं. क्या ये काम कर रहे हैं?" मेहरा ने पीठ से कहा कि स्मॉग टावर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘30 सितंबर को एक्यूआई 84 था और अब यह 474 हो गया है. हमने संख्या में 390 की वृद्धि कर दी है. यह एक दिन में 20 सिगरेट पीने जैसा है, भले ही आप धूम्रपान न करते हों. हालांकि यह अदालत कई अन्य कारकों पर गौर करेगी, यह शायद पराली जलाना है. अगर पूसा के लोग इसे देख सकें....''
मेहरा ने कहा कि वह आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में एक विस्तृत हलफनामा पेश करेंगे. शीर्ष अदालत ने हालांकि कहा, ‘‘हलफनामे और दलीलें ठीक हैं लेकिन लोग चाहते हैं कि वायु प्रदूषण कम हो.'' इसने कहा कि वायु प्रदूषण के लिए किसानों पर दोष लगाना एक फैशन बन गया है. शीर्ष अदालत पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और विधि छात्र अमन बांका द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में पराली हटाने वाली मशीन उपलब्ध कराने का निर्देश देने का आग्रह किया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में कनॉट प्लेस में "देश के पहले स्मॉग टॉवर" का उद्घाटन किया था और कहा था कि यह एक मील का पत्थर साबित होगा तथा यदि प्रायोगिक परियोजना के अच्छे परिणाम मिलते हैं तो शहर में ऐसे कई ढांचे स्थापित किए जा सकते हैं. केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा था, "यह देश में इस तरह का पहला स्मॉग टॉवर है. यह एक नयी तकनीक है. हमने इसे अमेरिका से आयात किया है. यह संरचना ऊपर से प्रदूषित हवा को सोख लेगी और नीचे से स्वच्छ हवा छोड़ेगी. यह प्रति सेकंड 1,000 क्यूबिक मीटर हवा को शुद्ध करेगी."