दिल्ली-NCR में सांसों पर संकट! कई इलाकों में AQI 450 पार... प्रदूषण के चलते Work from Home की सलाह

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के बढ़ते स्‍तर को देखते हुए निजी दफ्तरों के लिए 50 प्रतिशत ऑन-साइट वर्कफोर्स कैपेसिटी पर काम करने की एडवाइजरी जारी की है. इस दौरान बाकी स्टाफ घर से काम करना जारी रखेंगे.

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  • दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण का स्तर अत्यंत गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है.
  • नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद और हापुड़ जैसे क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर दर्ज किया गया है.
  • प्रदूषण के कारण सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं.
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नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है. सोमवार सुबह नोएडा का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 460 से ऊपर दर्ज किया गया, जो ‘Hazardous' (अत्यंत गंभीर) श्रेणी में आता है. दिल्ली में भी हालात चिंताजनक हैं. राजधानी का औसत AQI 453 तक पहुंच गया है, जबकि कई इलाकों में यह 600 के पार दर्ज किया गया. विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रदूषण स्तर लगातार 10-15 सिगरेट पीने के बराबर है. गाजियाबाद में AQI 510 दर्ज किया गया. जो कि गंभीर श्रेणी में आता है. इसके अलावा हापुड़ में AQI 431 दर्ज किया गया. वहीं बुलन्दशहर में AQI 366 है. 

खतरनाक प्रदूषण से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. आंखों में जलन और गले में खराश की शिकायतें बढ़ रही हैं. इससे निपटने के लिए बच्चों, बुजुर्गों और हृदय रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.

वर्क फ्रॉम होम की सलाह

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के बढ़ते स्‍तर को देखते हुए निजी दफ्तरों के लिए 50 प्रतिशत ऑन-साइट वर्कफोर्स कैपेसिटी पर काम करने की एडवाइजरी जारी की है. इस दौरान बाकी स्टाफ घर से काम करना जारी रखेंगे. यह फैसला एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (CAQM) के नए निर्देशों के मुताबिक लिया गया है. दरअसल, दिल्‍ली में ग्रैप-3 की पाबंदियां लागू हैं. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जोर देकर कहा कि ग्रैप-3 के तहत दिल्ली सरकार पब्लिक हेल्थ और एयर क्वालिटी प्रोटेक्शन पर ज्‍यादा ध्यान देते हुए पॉल्यूशन कंट्रोल के उपायों को एक्टिव रूप से लागू कर रही है.

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क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण?

  • पराली जलाने का असर अब भी जारी है.
  • ठंडी हवाओं की कमी और तापमान गिरने से प्रदूषक जमीन के करीब फंस रहे हैं.
  • वाहनों का उत्सर्जन और निर्माण कार्य भी योगदान दे रहे हैं.

स्वास्थ्य पर असर

डॉक्टरों के मुताबिक, इस स्तर का प्रदूषण फेफड़ों की क्षमता को कमजोर करता है, दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है, और बच्चों व बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है. लंबे समय तक इस हवा में रहने से क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है.

विशेषज्ञों की सलाह

  • बाहर निकलने से बचें.
  • यदि बाहर जाना जरूरी हो तो N95 मास्क पहनें.
  • घर में HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें.
  • बच्चों और बुजुर्गों को पूरी तरह घर के अंदर रखें. 

 

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