'सबको लपेटे में लेने वाले आरोपों...'- दहेज प्रताड़ना के कानून के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य और सबको लपेट लेने वाले आरोपों के आधार पर पति के रिश्तेदारों पर कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. दहेज के सामान्य आरोप पति के रिश्तेदारों पर दाग छोड़ते हैं, इसे हतोत्साहित किया जाना चाहिए.

विज्ञापन
Read Time: 19 mins
दहेज प्रताड़ना कानून के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता.
नई दिल्ली:

दहेज प्रताड़ना कानून (anti-dowry act) के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य और सबको लपेट लेने वाले आरोपों के आधार पर पति के रिश्तेदारों पर कार्रवाई क़ानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है. दहेज के सामान्य आरोप पति के रिश्तेदारों पर दाग छोड़ते हैं, इसे हतोत्साहित किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पत्नी द्वारा दहेज उत्पीड़न के सामान्य और सबको लपेटे में लेने वाले आरोपों के आधार पर पति के रिश्तेदारों को मुकदमे से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे आरोपी पर एक गंभीर 'दाग' लग सकता है. इसका विरोध किया जाना चाहिए 

जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी ने पीठ ने अपने एक फैसले में कहा है. सामान्य और सबको लपेटे में लेने वाले आरोपों पर ऐसी स्थिति नही आनी चाहिए जहां शिकायतकर्ता के पति के रिश्तेदारों को मुकदमे से गुजरना पड़े. एक आपराधिक मुकदमा जिसमें आरोपी अंततः बरी हो जाते है, आरोपी पर गंभीर दाग छोड़ जाते हैं. इस तरह की प्रैक्टिस को हतोत्साहित किया जाना चाहिए.

दरअसल बिहार के पूर्णिया के मोहम्मद इकराम के परिवार के सदस्यों द्वारा पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की है. दहेज के तौर पर कार की मांग और गर्भावस्था को समाप्त करने की धमकी के आरोपों पर दर्ज FIR  को रद्द करने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया था.

Advertisement

पहले से शादीशुदा शख्स ने दोबारा निकाह के लिए मांगा 10 लाख का दहेज, लोगों ने कर दी जबर्दस्त पिटाई

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक अप्रैल, 2019 की FIR में पता चलता है कि सभी आरोपियों पर सामान्य तरह के आरोप थे. जैसे, मानसिक रूप से परेशान करना और  गर्भावस्था को समाप्त करने की धमकी देना आदि, इसलिए आरोप सामान्य और सबको लपेटने वाले हैं. कहा जा सकता है कि यह छोटी-छोटी झड़पों के कारण लगाया गया है.

Advertisement

- पीठ ने यह भी कहा कि इस अदालत ने कई मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा-498 ए के दुरुपयोग और पति के रिश्तेदारों को वैवाहिक विवादों में फंसाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की है. वैवाहिक विवाद के दौरान लगाए गए सामान्य सबको लपटेने वाले आरोपों को यदि अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा, इसलिए इस अदालत ने अपने निर्णयों के माध्यम से अदालतों को चेताया है कि पति के रिश्तेदारों और ससुरालियों को मुकदमे में तब तक नहीं ढकेलना चाहिए जब तक उनके खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता हो.

Featured Video Of The Day
Hardoi SP Neeraj Jadaun ने लड़की से क्यों मांगी माफी
Topics mentioned in this article