Analysis : 18वीं लोकसभा में OBC सशक्तीकरण की नई कहानी, घटे अगड़ी जाति के सांसद

18वीं लोकसभा में ओबीसी सांसदों की संख्‍या में इजाफा हुआ है, वहीं अपर कास्‍ट के सांसदों की संख्‍या घट गई है. साथ ही मुस्लिम सांसदों की संख्‍या में भी 2019 की तुलना में गिरावट आई है.

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नई दिल्‍ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में ओबीसी सशक्‍तीकरण की एक नई कहानी लिखी गई है. 18 वीं लोक सभा में ओबीसी सांसदों की संख्या बढ़ी है. इस बार 138 ओबीसी सांसद जीत कर आए हैं, जबकि अपर कास्ट सांसदों की संख्या में पिछली लोकसभा की तुलना में कमी आई है. इस बार 140 अपर कास्ट सांसद जीत कर आए हैं, जबकि इंटरमीडिएट कास्ट के 74 सांसद हैं. जहां एससी-एसटी सांसदों की संख्या समान रही तो वहीं सिख सांसदों की संख्या में मामूली बढ़ोतरी हुई है. मुस्लिम सांसदों की संख्या में कमी आई है, जबकि ईसाई पिछली बार की ही तरह जीत कर आए हैं. आइए नजर डालते हैं कि 2019 की तुलना में 2024 में चुनकर आए सांसदों के आंकड़ों पर : 

इस बार संसद में अपर कास्‍ट के सांसदों की संख्‍या घट गई है. 2019 में यह जहां 28.5 फीसदी थी, 2024 में 25.8 फीसदी अपर कास्‍ट के सांसद जीतकर आए हैं. वहीं ओबीसी सांसदों की संख्‍या में इजाफा हुआ है. 2019 में 22.8 फीसदी ओबीसी सांसद जीते थे तो इस बार 25.4 फीसदी ओबीसी सांसद जीते हैं. 

2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम सांसदों की संख्‍या में भी कमी आई है, जहां 2019 में 5 फीसदी मुस्लिम सांसद थे, वहीं इस बार संसद में 4.4 फीसदी मुस्लिम सांसद ही हैं. वहीं सिख सांसदों की संख्‍या में इजाफा हुआ है, पिछली बार 2 फीसदी सिख थे तो इस बार 2.4 फीसदी सांसद सिख हैं.  

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इंडिया गठबंधन से अधिक ओबीसी सांसद जीते 

अगर एनडीए और इंडिया गठबंधनों की तुलना की जाए तो इंडिया गठबंधन में अधिक ओबीसी और एससी सांसद जीत कर आए हैं. जबकि एनडीए गठबंधन में इंडिया की तुलना में अपर कास्ट, इंटरमीडिएट कास्ट और एसटी की संख्या अधिक है. 

जहां एनडीए के अपर कास्‍ट के 33.2 फीसदी सांसद जीतकर आए हैं, वहीं इंडिया गठबंधन के 12.4 फीसदी सांसद ही अपर कास्‍ट से हैं. इसके साथ ही एनडीए के 26.2 फीसदी सांसद ओबीसी सांसद जीतकर आए हैं तो इंडिया गठबंधन के 30.7 फीसदी सांसद जीते हैं. वहीं इंडिया गठबंधन के जहां पर 7.9 फीसदी मुस्लिम सांसद और 3.5 फीसदी ईसाई सांसद जीतकर आए हैं, वहीं पर एनडीए के मुस्लिम और ईसाई सांसदों की संख्‍या शून्‍य है. 

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हिंदी प्रदेशों में ओबीसी सांसदों की संख्‍या में इजाफा 

हिंदी प्रदेशों में ओबीसी सांसदों की संख्‍या बढ़ी है और अपर कास्‍ट के सांसदों की संख्‍या घट गई है. उत्तर प्रदेश में जहां पर 2019 में ओबीसी के 28 सांसद चुनकर संसद पहुंचे थे, वहीं 2024 में यह संख्‍या 34 है. वहीं 2019 में अपर कास्‍ट के 29 सांसद उत्तर प्रदेश से संसद पहुंचे थे तो इस बार इनकी संख्‍या घटकर 23 रह गई है. 

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वरिष्‍ठ पत्रकार राम कृपाल सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव ने देर से ही सही जमीनी सच्‍चाई को पढ़ा है. उन्‍होंने कहा कि अमित शाह ने 2014 में ओबीसी की छोटी जनसंख्‍या वाली जातियों को अपने साथ लिया था और इसके बाद वह जातियां लगातार बीजेपी के साथ रहीं. हालांकि इस बार वही रणनीति अखिलेश यादव ने अपनाई. 

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अखिलेश की कामयाबी का क्‍या है राज?

उत्तर प्रदेश में सांसदों का जातीय समीकरण एनडीए और इंडिया गठबंधन में काफी अलग-अलग है. उत्तर प्रदेश में जहां एनडीए के 15 अपर कास्‍ट के सांसद चुनकर आए हैं, वहीं पर इंडिया गठबंधन के 8 सांसद चुने गए हैं. वहीं ओबीसी के 13 एनडीए सांसद हैं, जबकि इंडिया गठबंधन के 21 सांसद चुनकर आए हैं. 

राम कृपाल सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव ने ज्‍यादा टिकट ओबीसी उम्‍मीदवारों को दिए और अपनी बिरादरी के लोगों को उन्‍होंने कम टिकट दिए. साथ ही वो मतदाताओं को यह बताने में कामयाब रहे कि अगर मोदी आएंगे तो बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान बदल देंगे. इसलिए पिछड़ों और दलितों का एक हिस्‍सा भी उनकी तरफ चला गया. 

राजनीतिक विश्‍लेषक प्रो. बद्री नारायण ने कहा कि पिछड़ी जातियों की संख्‍या संसद में ज्‍यादा दिखाई पड़ रही है. यह तब होता है जब यह जातियां धीरे-धीरे राजनीतिक अभिजात वर्ग में तब्‍दील हो जाती हैं. अन्‍यथा यह संख्‍या ऐसी नहीं दिखाई देती. 

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