संदिग्ध पाक आतंकी ने पूछताछ में किया खुलासा, 2011 हाईकोर्ट ब्लास्ट में की थी रेकी : पुलिस सूत्र

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के पुलिस सूत्रों का दावा है कि पकड़े गए पाकिस्तान के संदिग्ध आतंकी मोहम्मद अशरफ ने साल 2011 में हाईकोर्ट के बाहर जो ब्लास्ट हुए थे उस दौरान हाईकोर्ट की रेकी की थी. हालांकि, ये उस ब्लास्ट में शामिल था या नहीं, ये अभी पूछताछ में साफ होगा.

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एक दशक से भारत में रह रहा था आतंकी मोहम्मद अशरफ.

नई दिल्ली:

दिल्ली से पकड़े गए पाकिस्तान के संदिग्ध आतंकी मोहम्मद अशरफ ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के सामने कई खुलासे किए हैं. पुलिस सूत्रों का दावा है कि साल 2011 में हाईकोर्ट के बाहर जो ब्लास्ट हुए थे उस दौरान इसने हाईकोर्ट की रेकी की थी. इसने पूछताछ में बताया कि इसने हाईकोर्ट की रेकी की थी. हालांकि, ये उस ब्लास्ट में शामिल था या नहीं, ये अभी पूछताछ में साफ होगा. इसके अलावा, 2011 के आसपास इसने आईटीओ स्थित पुलिस हेडक्वार्टर (पुराने पुलिस हेडक्वार्टर ) की रेकी की थी. संदिग्ध आतंकी ने बताया कि उसने कई बार रेकी की थी, लेकिन ज्यादा जानकारी नही मिल पाई क्योंकि पुलिस हेडक्वार्टर के बाहर लोगों को रुकने नहीं देते थे.

सूत्रों ने बताया कि अशरफ ने आईएसबीटी कश्मीरी गेट बस अड्डे की भी रेकी थी और कई जानकारियां पाकिस्तान के हैंडलर्स को भेजी थीं. फिलहाल ये दिल्ली के क्या किसी ब्लास्ट में शामिल रहा है, इसको लेकर जांच एजेंसियां इससे पूछताछ कर रही हैं. सूत्रों की मानें तो अशरफ ने दिल्ली में करीब 10 जगहों की रेकी की थी और जानकारियां पाकिस्तान हैंडलर्स को भेजीं.

किन-किन जगहों की रेकी की

पुराना पुलिस मुख्यालय, आईटीओ
कश्मीरी गेट बस अड्डा
लाल किला
इंडिया गेट
दिल्ली हाईकोर्ट

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पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स के इशारों पर करता था काम

सूत्रों के मुताबिक, मोहम्मद अशरफ ने पुलिस को बताया कि वो जम्मू -श्मीर में जब था, तो वहां वो लगातार आर्मी के जवानों और उनकी गाड़ियों के मूवमेंट पर नजर रखता था. इस दौरान वो लगातार पकिस्ताम में अपने परिवार के संपर्क में रहता था. हर 6 महीने में अपना मोबाइन नंबर बदल लेता था, जिससे वो एजेंसियों के जाल में न फंस पाए. यहां तक कि वो अपने हैंडलर से संपर्क में आने के लिए ये मैसेज या वाट्सऐप पर भी बहुत ही कम जुड़ता था.

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अशरफ को लगातार आईएसआई और पकिस्तान में बैठे हैंडलर्स फ़ोटो के जरिये लोकेशन और अगला टारगेट बताते थे. साथ ही इसको किन चीजों की डिलीवरी किसे करनी है ये भी जानकारी दी जाती थी. सबसे महत्वपूर्ण बात ना तो ये बात करने वाले शख्स को अच्छे को जानता था, ना ही जिसे हथियारों या अन्य चीजों की डिलीवरी करनी होती थी उन्हें जानता था. सिर्फ ये एक बीच की कड़ी जो केवल समान एक जगह से उठाकर दूसरे को देना होता था.

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पुलिस अब ये जांच कर रही है कि क्या जो हथियार इसकी निशानदेही पर बरामद किए गए हैं, वो इसे किसी को देने थे या खुद इस्तेमाल करने थे.

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