सिद्धारमैया सरकार पर घोटाले का आरोप, एक मंत्री का इस्तीफा... दूसरा सवालों के घेरे में

शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने घोटाले के आरोप पर कहा है कि 24 तारीख को मैं कार्यालय गया ही नहीं था. कार्यालय में बहुत से लोग आते हैं, बोलते हैं और चले जाते हैं. मेरा उससे कोई संबंध नहीं है.

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नई दिल्ली:

कर्नाटक सरकार के एक अधिकारी की संदिग्ध मौत ने आदिवासी निगम में 94 करोड़ रुपये के घोटाले की ओर सबका ध्यान खींचा है. इसके कारण शुक्रवार को एक कांग्रेस के मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा. अब एक और मंत्री सवालों के घेरे में आ गए हैं.

कर्नाटक के आदिवासी कल्याण विभाग में 94 करोड़ रुपये के घोटाले के एक आरोपी ने कहा कि 24 मई को चिकित्सा और शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल के कार्यालय में इस मामले के सबूत नष्ट करने की साजिश रची गई थी. कर्नाटक के जनजातीय कल्याण मंत्री बी नागेंद्र ने कर्नाटक वाल्मिकी विकास निगम में वित्तीय घोटाले के बाद पहले ही इस्तीफा दे दिया है.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि 24 तारीख को मैं कार्यालय गया ही नहीं था. साथ ही, कार्यालय विधान सभा में है, वहां बहुत से लोग आते हैं, बोलते हैं और चले जाते हैं. मेरा उससे कोई संबंध नहीं है.

अब तक क्या-क्या हुआ :

  • 26 मई को, वाल्मिकी विभाग के एक अधीक्षक की संदिग्ध मौत हो गई
  • कथित तौर पर उनके द्वारा छोड़े गए 6 पन्नों के नोट में विभाग में अनियमितताओं और अवैध लेनदेन का जिक्र किया गया. 
  • 29 मई को, निगम के प्रबंध निदेशक ए राजशेखर ने शिकायत दर्ज की कि उनके खाते से 94.73 करोड़ रुपये अवैध रूप से निकाले गए हैं.
  • एक ऑडियो क्लिप भी सामने आई, जिसमें एक संदिग्ध को एक 'मंत्री' का जिक्र करते हुए सुना गया, जो लेनदेन के बारे में जानता है.
  • इस घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने 2 बैंक अधिकारी और 3 सरकारी अधिकारी को गिरफ्तार किया.
  • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के एक अधिकारी की शिकायत के आधार पर सीबीआई ने भी मामला दर्ज किया है.

वहीं बीजेपी का कहना है कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जिम्मेदार हैं.

कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा, "ये वित्त मंत्रालय की जानकारी के बिना नहीं हो सकता है. मुख्यमंत्री के पास वित्त मंत्रालय होने के कारण ये घोटाला उनकी जानकारी के बिना नहीं हो सकता है. सिर्फ मंत्री के इस्तीफे से न्याय काफी नहीं है, मुख्यमंत्री भी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं."

2023 में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाकर ही कांग्रेस कर्नाटक की सत्ता में आई थी. वहीं एक साल बाद, पार्टी करोड़ों रुपये के घोटाले से जूझ रही है, जिसके कारण इसके पहले मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है.

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