चीन की फंडिंग पर एंटी इंडिया कैंपेन चलाने वाले सिंघम कौन हैं, जानें Newsclick केस का A to Z

अमेरिकी बिजनेसमैन नेविल रॉय सिंघम चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के तथाकथित स्मोकलेस वॉर के मुख्य किरदार हैं. साल 2021 में ईडी ने की जांच में सामने आया था कि न्यूजक्लिक को 38 करोड़ रुपये का विदेशी फंड मिला था. इसके तार भी सिंघम से जुड़े.

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नई दिल्ली:

Newsclick वेबसाइट मामले में गुरुवार को इससे जुड़े कई पत्रकारों से दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने पूछताछ की. मंगलवार को स्पेशल सेल ने कई पत्रकारों के घरों पर छापा मारा था और उनके लैपटॉप, मोबाइल फोन समेत कई दस्तावेज जब्त किए हैं. पुलिस ने Newsclick के एडिटर इन चीफ और एचआर हेड को अरेस्ट भी किया है. इस पूरे मामले में अमेरिकी बिजनेसमैन और अरबपति नेविल रॉय सिंघम (Neville Roy Singham)का नाम भी चर्चा में आ गया है. सिंघम पर भारत में चीनी प्रोपेगैंडा फैलाने (Chinese Propaganda)और न्यूज वेबसाइट (Newsclick)को गैर-कानूनी तरीके से फंडिंग देने के आरोप हैं.

आइए जानते हैं क्या है Newsclick मामला? इसमें नेविल रॉय सिंघम का क्या है कनेक्शन और आखिर चीन की क्या है चाल:-

अमेरिका के अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की रिपोर्ट में कहा गया है कि नेविल रॉय सिंघम चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के तथाकथित स्मोकलेस वॉर के मुख्य किरदार हैं. शी जिनपिंग के कार्यकाल में चीन ने अपने सरकारी मीडिया के प्रभाव को बढ़ाया है. इंटरनेशनल मीडिया संस्थानों के साथ अलायंस बनाया है. चीन ने अपने प्रोपेगैंडा को आगे बढ़ाने के लिए विदेशी इनफ्लूएंसर्स की मदद ली है.

NewsClick के एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ समेत 2 गिरफ्तार, 46 संदिग्ध लोगों से पूछताछ

साल 2021 में ईडी ने की जांच में सामने आया था कि न्यूजक्लिक को 38 करोड़ रुपये का विदेशी फंड मिला था. इसके तार भी सिंघम से जुड़े. न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच के मुताबिक चीन अपनी प्रोपेगेंडा मशीनरी के जरिए खुद को अंतरराष्ट्रीय आलोचना से बचाने में सफल रहा है. इसमें सिंघम की अहम भूमिका रही है. चीन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगते रहते हैं.

शंघाई में टाइम्स स्क्वायर की 18वीं मंजिल पर है न्यूज़क्लिक का दफ्तर
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के शंघाई में टाइम्स स्क्वायर की 18वीं मंजिल पर इसका एक दफ्तर है. जहां से कथित तौर पर चीन के साथ मिलकर तमाम देशों में नेटवर्क फैलाने का काम होता है. न्यूज़क्लिक को अमेरिका स्थित कंपनी से FDI में 9.6 करोड़ रुपये मिले. आरोप है कि अमेरिका में स्थित M/s Worldwide Media Holdings LLC ने न्यूज़क्लिक के शेयर 11,510/शेयर पर ख़रीदे.

"चीन से जुड़ी संस्थाओं ने न्यूज़क्लिक को 38 करोड़ रुपये दिए": पुलिस सूत्र

रिपोर्ट में कहा गया कि नेविल रॉय सिंघम के एक सहयोगी जेसन फ़ेचर ने 2017 में अमेरिकी कंपनी बनाई. आरोप है कि न्यूज़क्लिक को 2018-2022 के बीच अमेरिका में स्थित दो कंपनियों से 38 करोड़ रुपये मिले. ईडी जांच के दौरान न्यूज़क्लिक अमेरिकी कंपनियों को सेवाएं निर्यात करने का सबूत नहीं दे पाई. 

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सिंघम का बायोडाटा?
पूरा नाम - नेविल रॉय सिंघम
जन्म - 1954
उम्र- 69 साल
पिता - आर्किबाल्ड विक्रमराज सिंघम, राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर
शिक्षा - 1993 में हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी (अर्थशास्त्र) 
निवासी - शंधाई (चीन), शिकागो (यूएस) 
पेशा - सॉफ्टवेयर इंजीनियर 
कंपनी - थॉटवर्क्स .. (आईटी परामर्श कंपनी) 
(2009 थॉटवर्क्स विदेश नीति पर परामर्श देने वाली टॉप 50 ग्लोबल थिंकर्स कंपनी में शामिल हुई.)

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सिंघम का काम 
-वामपंथी विचारधारा का प्रसार कर दुनिया की राजनीति को प्रभावित करना.
- अफ्रीका में राजनेताओं को प्रशिक्षण देते हैं...दक्षिण अफ्रीका के चुनावों में उम्मीदवार उतारे 
- लंदन में प्रदर्शन आयोजित किए. जैसे एक प्रदर्शन में हिंसा हुई. सिंघम से जुड़े ग्रुपों ने लंदन हिंसा के यूट्यूब वीडियो बनाए. जिन्हें करोड़ों लोगों ने देखा है.
-सिंघम पर चीनी विदेश नीति का समर्थन देने वालों को लाखों डॉलर चंदा देने का आरोप है.
-न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सिंघम ने भारत में न्यूज़क्लिक वेबसाइट को फंडिंग की. ताकि चीनी बातों को प्रमुखता से छापा जाये.

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दिल्ली पुलिस ने 17 अगस्त, 2023 को न्यूज़क्लिक और उसके संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ पर केस दर्ज किया था. मंगलवार को उनकी गिरफ्तारी हुई. न्यूज़क्लिक और उसके अफसरों पर आतंक निरोधी कानून UAPA लगाया गया है. न्यूज़क्लिक पर आतंक फैलाने, आतंक की फंडिंग और आपराधिक साज़िश का आरोप भी है. न्यूज़क्लिक पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का भी आरोप है.

न्यूज़क्लिक ने बयान जारी कर आरोपों को किया खारिज
इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए न्यूज़क्लिक ने एक बयान जारी किया. वेबसाइट ने कहा, "न्यूज़क्लिक को 2021 से भारत सरकार की कई एजेंसियों ने निशाना बना कर कई कार्रवाइयां की हैं. पिछले दो साल में ED मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में न्यूज़क्लिक के खिलाफ शिकायत तक दर्ज नहीं करवा पाया है. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा भारतीय दंड संहिता के तहत न्यूज़क्लिक पर चार्जशीट दायर नहीं कर सकी." 

प्रेस संगठनों ने CJI से की दखल देने की अपील
न्यूज़क्लिक के खिलाफ कार्रवाई की निंदा करते हुए कई प्रेस संगठनों ने बयान जारी किए हैं. देश भर के पत्रकार संगठनों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ को लिखकर उनसे मीडिया पर हो रहे हमले और डिवाइसेज़ ज़ब्त किए जाने पर दखल देने को कहा है.

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Explainer : न्यूज़क्लिक के खिलाफ क्या है मामला? यहां जानिए इससे जुड़े तथ्य और आरोप

ऐसा है चीन का प्रोपेगंडा वॉर
अमेरिकी संस्थान फ्रीडम हाउस ने एक स्टडी में पाया है कि चीन का प्रचार तंत्र या कहें कि प्रोपेगंडा वॉर दुनिया के हर बड़े देश तक पहुंच चुका है. फ्रीडम हाउस के मुताबिक उसने 30 बडे मुल्कों में स्टडी कर पाया कि 15 से ज्यादा देशों में चीन का प्रचार तंत्र बहुत उच्च से उच्च श्रेणी का है. 18 देशों में बीते 3 सालों में इस प्रोपेगेंडा में जबरदस्त बढोतरी हुई है. प्रोपेगैंडा वॉर अमेरिका के साथ साथ एशिया, अफ्रीका, यूरोप और लेटिन अमेरिका तक पहुंच गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी एजेंसिया आलोचनात्मक रिपोर्टिंग को दबाने और चीनी नेरैटिव को आगे बढ़ाने का काम करती हैं. चीनी सरकार के खिलाफ छापने वाले पत्राकरों को डराया धमकाया जाता है. सोशल मीडिया पर उनकी ट्रोलिंग करा कर साइबर उत्पीड़न किया जाता है. ये काम फेक मीडिया अकाउंट्स से किए जाते हैं. बता दें कि चीन में विदेशी सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, X, इंस्टाग्राम के इस्तेमाल पर बैन है.

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