कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी बोले- हम सदन में हवा खाने नहीं आते तो अनुराग ठाकुर ने दिया ये जवाब

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बिना नाम लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जो पार्टी दो वर्ष तक अपना अध्यक्ष न चुन पाए. जिसके सांसद अपनी ही सरकार बिल फाड़ दें. जो पार्टी सदन न चलने दें. जो सड़क पर भी करने में लोग शर्म महसूस करते हैं वो सदन में किया जाए, सोचिए लोकतंत्र को शर्मसार किया जा रहा.

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संसद में हंगामे को लेकर अनुराग ठाकुर ने विपक्ष को सुनाई खरी-खोटी
नई दिल्ली:

संसद के मॉनसून सत्र (Monsoon Session) में विपक्ष के हंगामे के चलते कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पाई. लोकसभा की कार्यवाही को आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है. इस पूरे मामले पर  लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury ) ने कहा कि सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का फैसला लेकर विपक्ष को बदनाम करने की कोशिश की है. पेगासस जासूसी, किसान कानून और महंगाई पर चर्चा करें. पेट्रोल के दामों पर गुहार लगाने के बावजूद सरकार चर्चा से बची. पेगासस पर फ्रांस और इजराइल की सरकार जांच कर रही है. हर जगल हलचल मच रही है. समाज के हर वर्ग के खिलाफ इसका बेजा इस्तेमाल हो रहा है. हमने सदन में इन्हीं मुद्दों पर चर्चा की मांग की थी. जायज मांग थी. नाजायज नहीं थी.

उन्होंने आगे कहा कि सदन में भी सरकार की ओर से अलग-अलग बयान आते हैं. कोविड के मामले पर चर्चा चाहते थे. टीकाकरण भी  ठीक से नहीं हो रहा. सरकार कहती कुछ है और जमीन पर होता कुछ. ओबीसी की बात आई तो सरकार की पूरी मदद की. कांग्रेस और विपक्ष अपनी जिम्मेदारी जानता है. हम सदन में हवा खाने नहीं लोगों के मुद्दे रखने आते हैं. आज पीएम पहली बार सदन में आए और केवल बिल पास कराते रहे. सात से आठ मिनट बिल पास करते रहे. लोकसभा टीवी में हमारा विरोध नहीं दिखाया गया. मनमानी लोकतंत्र के लिए खतरा है. पीएम बाहर क्यों बोलते हैं, सदन में क्यों नहीं. फिर तो संसद की जरूरत ही क्या है. जो भी कहना है सदन के अंदर बात हो.

वहीं इस मामले पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने बिना नाम लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जो पार्टी दो वर्ष तक अपना अध्यक्ष न चुन पाए. जिसके सांसद अपनी ही सरकार बिल फाड़ दें. जो पार्टी सदन न चलने दें. जो सड़क पर भी करने में लोग शर्म महसूस करते हैं वो सदन में किया जाए, सोचिए लोकतंत्र को शर्मसार किया जा रहा. देश की जनता ने जिन्हें अपने मुद्दे उठाने के लिए सांसद बनाकर भेजा है, वे फाइलें फेंके और हंगामा करें, कितनी खराब बात है.  करोड़ों रुपये सदन चलाने के लिए खर्च किए जाते हैं लेकिन जब चर्चा होती है तो ये लोग भाग नहीं लेते. कल जो राज्यसभा में हुआ,  पहले मंत्री जी का बयान फाड़ दिया गया. फिर टेबल पर चढ़कर राज्यसभा अध्यक्ष चेयर पर फाइल फेंकी गई, ये शर्मनाक है.

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बता दें कि मॉनसून सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में लगातार हंगामा होता रहा. सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पाई. हंगामे के चलते कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ता था. आज लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए ही स्थगित कर दिया गया.
 

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