सदन का पहला सत्र होने तक विशेष अधिकारी होंगे दिल्ली एमसीडी के प्रमुख, सालभर से पहले चुनाव की संभावना नहीं : विशेषज्ञ

दिल्ली के एकीकृत नगर निगम में सीट की संख्या 250 से अधिक नहीं होगी और एक विशेष अधिकारी को एकीकरण कानून के तहत निकाय की पहली बैठक होने तक इसके कार्य की देखरेख के लिए नियुक्त किया जा सकता है.

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दिल्‍ली के तीनों निगमों के विलय के बिल को राज्‍यसभा में मिली मंजूरी
नई दिल्ली:

राज्यसभा द्वारा दिल्ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण के लिए एक विधेयक मंगलवार को पारित किए जाने के बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सदन का पहला सत्र नहीं हो जाता, तब तक कोई विशेष अधिकारी नए निकाय का प्रमुख होगा. संसद ने राष्ट्रीय राजधानी के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के प्रावधान वाले ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022' को मंगलवार को मंजूरी दे दी.

विधेयक के अनुसार, दिल्ली के एकीकृत नगर निगम में सीट की संख्या 250 से अधिक नहीं होगी और एक विशेष अधिकारी को एकीकरण कानून के तहत निकाय की पहली बैठक होने तक इसके कार्य की देखरेख के लिए नियुक्त किया जा सकता है. लोकसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा ने कहा कि तीनों निकाय अपने-अपने कार्यकाल के अंत तक काम करते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक के प्रावधान के अनुसार, इसके बाद एक विशेष अधिकारी तब तक पदभार संभालेगा, जब तक नवगठित इकाई के सदन का पहला सत्र बुला नहीं लिया जाता. ''

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नगर निकाय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संभावना जताई, ‘‘किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को विशेष अधिकारी के पद पर नियुक्त किया जाएगा, जो नए सदन का पहला सत्र बुलाए जाने तक प्रभावी रूप से इसका प्रमुख होगा. पहले सत्र में ही सदन एकीकृत निकाय के महापौर का भी चयन करेगा.'' 

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दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 के मंगलवार को राज्यसभा में पारित होने के बाद नगर निगम के वार्डों की कुल संख्या संशोधित किए जाने की आवश्यकता के बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि नगर निगम का चुनाव एक साल से पहले होने की संभावना नहीं है क्योंकि नए परिसीमन कार्य की आवश्यकता होगी.

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दिल्ली के मौजूदा एवं पूर्व महापौरों ने कहा कि एकीकृत नगर निगम ‘‘दिल्ली और दिल्लीवासियों के लिए अच्छा होगा.'' हालांकि, उन्होंने रेखांकित किया कि नए परिसीमन कार्य के कारण एक वर्ष से पहले निगम चुनाव होने की संभावना नहीं है.

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पिछले सप्ताह लोकसभा द्वारा पारित दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक-2022 के अनुसार, नगर निगमों के एकीकरण से समन्वित और रणनीतिक योजना एवं संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होगा. विपक्ष द्वारा संशोधन की सभी मांगों को नकारने के बाद राज्यसभा ने ध्वनि मत से विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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