जम्मू-कश्मीर में पिछले पांच वर्षों में अल्पसंख्यक वर्ग के 34 लोग मारे गए : MHA

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले साल अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के 11 लोगों को आतंकियों ने निशाना बनाया था, जिसमें से 9 हिंदू थे.

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जम्मू-कश्मीर में पिछले पांच वर्षों में अल्पसंख्यक वर्ग के 34 लोग मारे गए : MHA
गृह राज्‍य मंत्री नित्‍यानंद राय ने बताया, 'सरकार ने घाटी में अल्‍पसंख्‍यक वर्ग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लि कई कदम उठाए हैं
नई दिल्‍ली:

जम्‍मू-कश्‍मीर में पिछले पांच वर्षों में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय से जुड़े 34 लोगों की हत्‍या हुई है. जम्‍मू-कश्‍मीर प्रशासन की ओर से लाए जा रहे जनसांख्यिकीय बदलाव ( demographic changes)की आशंका एक कारण है जिसके कारण पिछले कारण पिछले कुछ सालों में अल्‍पसंख्‍यकों पर हमले बढ़े हैं. घाटी के एक वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, 'हाल में हुई हत्‍याओं से संकेत मिले हैं कि विभिन्‍न क्षेत्रों में आशंकाएं हैं कि वर्ष 2019 के बाद केंद्र, जनसांख्यिकी बदलने की कोशिश कर रहा है और आतंकी संगठन इस डर को हवा दे रहे हैं.' गृह मंत्रालय (MHA )के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में जम्‍मू-कश्‍मीर में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय से जुड़े 34 लोगों ने आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में जान गंवाई है.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले साल अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के 11 लोगों को आतंकियों ने निशाना बनाया था, जिसमें से 9 हिंदू थे.  इस अधिकारी के अनुसार, इन 9 लोगों में से पांच को श्रीनगर शहर में निशाना बनाया गया.दिलचस्‍प बात यह है कि बुधवार को राज्‍यसभा में रखे गए  MHA के आंकड़ों में हिंदुओं को दो श्रेणियों में विभाजित गया-कश्‍मीरी पंडित और अन्‍य हिंदू. पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों के मुताबिक, 5 अगस्‍त 2019 को अनंतनाग, श्रीनगर, कुलगाम और पुलवामा में 14 हिंदू मारे गए हैं और इनमें से चार कश्‍मीरी पंडित हैं. केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री नित्‍यानंद राय ने राज्‍यसभा में बताया, 'सरकार ने कश्‍मीर घाटी में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लि कई कदम उठाए हैं. इसमें सुरक्षा को मजबूत करना, खुफिया ग्रिड, ग्रुप सिक्‍योरिटी, चौबीसों घंटे चैकिंग नाका और अल्‍पसंख्‍यकों के रहने वाले क्षेत्र में गश्‍त करना शामिल है.' उन्‍होंने यह भी बताया कि अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के बाद पीएम डेवलपमेंट पैकेज के तहत करीब करीब 2015 प्रवासी कश्‍मीर में वास लौटे हैं.

राज्‍यसभा में रखे गए डेटा में बताया गया है कि घाटी की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और जम्‍मू-कश्‍मीर में हिंसा के दौर में कमी आई है. गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 4 अगस्‍त 2019 तक आतंकियों के हाथों 177 नागरिक और 405  सुरक्षाकर्मी मारे गए थे लेकिन 5 अगस्‍त 2019 से नवंबर 2021 तक इस संख्‍या में कमी हो गई और 87 नागरिक और 99 सुरक्षाकर्मी मारे गए. इसके साथ साथ सीमा पार से घुसपैठ में भी कमी आई है.

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