महाराष्ट्र में आज एकनाथ शिंदे ही क्यों वायरल हैं, 3 घटनाओं से जानें सियासत की बदलती चाल

एकनाथ शिंदे आज तीन वजहों से खबरों में रहे. पहले वह विधान भवन के बाहर टेस्ला की कार चलाने निकले. दूसरे, सीएम फडणवीस ने हंसी-मजाक में ही सही, उद्धव ठाकरे को साथ आने का ऑफर दे दिया. तीसरी घटना में शिंदे और उद्धव लंबे समय के बाद आमने-सामने आए. इन तीनों ही घटनाओं के शिंदे के लिए बहुत गहरे सियासी मायने हैं.

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  • महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हंसी-मजाक में ही सही, विपक्षी शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे को सरकार में शामिल होने का खुला ऑफर दे दिया.
  • उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे लंबे समय बाद विधान भवन परिसर में आमने-सामने आए, लेकिन दोनों के बीच मनमुटाव और दूरियां साफ नजर आईं.
  • डिप्टी सीएम शिंदे विधान भवन के बाहर टेस्ला कंपनी की नई-नवेली इलेक्ट्रिक कार चलाते नजर आए. मुंबई में एक दिन पहले ही टेस्ला का शोरूम खुला है.
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महाराष्ट्र की सियासत में बुधवार को अगर किसी नेता की सबसे ज्यादा चर्चा रही, तो वह थे एकनाथ शिंदे. डिप्टी सीएम शिंदे आज तीन तरह से चर्चाओं में नजर आए. पहले वह विधान भवन के बाहर टेस्ला की कार चलाने निकले और मीडिया की सुर्खियां बने. दूसरी वजह सीधे तौर पर शिंदे से तो नहीं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से जरूर जुड़ी थी. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को साथ आने का ऑफर दे दिया. ख्याल ये आया कि उद्धव अगर एनडीए में आएंगे तो शिंदे का क्या होगा? तीसरी सुर्खी शिंदे और उद्धव के एक वीडियो से बनी. इसमें दोनों लंबे समय के बाद आमने-सामने आए, लेकिन मन की कड़वाहट हाव-भाव और उनके चेहरों पर साफ नजर आई. 

पहली सुर्खी- फडणवीस का उद्धव को ऑफर

महाराष्ट्र विधान परिषद में मौजूद विधायक और नेता उस समय हैरान रह गए, जब सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को साथ आने का खुला ऑफर दे डाला. विधान परिषद में  नेता विरोधी दल अंबादास दानवे का विदाई समारोह था. अपनी पार्टी के नेता दानवे के विदाई समारोह में उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे. इसी दौरान सीएम फडणवीस ने हल्के-फुल्के अंदाज में कह दिया- उद्धव जी 2029 तक हमारा तो आपकी जगह (विपक्ष में) आने का कोई स्कोप नहीं है, लेकिन आप अगर हमारे साथ आना चाहें तो रास्ता निकाला जा सकता है, सब आप पर निर्भर है. (वीडियो मराठी में है.)

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मजाक में ही सही, उद्धव ठाकरे को सरकार में शामिल होने के मुख्यमंत्री के ऑफर ने एक बार तो लोगों को दिमागी घोड़े दौड़ाने पर विवश कर दिया. महाराष्ट्र की सियासत एक नया मोड़ लेती दिखी. हालांकि सदन से बाहर आते समय जब मीडिया ने उद्धव से इस बारे में पूछा तो उनका कहना था कि ये बातें हंसते-खेलते हुई हैं, इसे हंसते-खेलते ही लेना चाहिए. अब देखने की बात ये है कि हंसी-मजाक में कही गई फडणवीस की बातों के पीछे वाकई कोई इशारा तो नहीं था.

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दूसरी सुर्खी- उद्धव और शिंदे आमने-सामने

सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल रहा, जिसमें उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे लंबे समय के बाद अगल-बगल दिखाई दिए. शायद ये पहला अवसर था, जब शिवसेना में विभाजन के बाद दोनों नेता आमने-सामने आए थे. मौका था, विधान भवन परिसर में ग्रुप फोटोग्राफी का. एकनाथ शिंदे पहले से कुर्सी के पास खड़े थे. उद्धव ठाकरे उधर की तरफ आए तो उन्होंने बाकी नेताओं का हाथ जोड़कर अभिवादन किया, लेकिन शिंदे की तरफ देखा तक नहीं. शिंदे ने भी दूसरी तरफ मुंह फेर लिया. इसके बाद जब सीट पर बैठने की बारी आई तो विधान परिषद की उप सभापति नीलम गोरे ने उद्धव ठाकरे के लिए अपनी सीट छोड़ दी. यह सीट एकनाथ शिंदे के ठीक बराबर में थी. इस पर उद्धव दूसरी तरफ चले गए और नीलम से अपनी सीट पर बैठने को कहा. इस तरह उद्धव और शिंदे करीब चार फुट की दूरी पर आसपास और नीलम गोरे बीच में बैठीं. 

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उद्धव और शिंदे के बीच इस खटास की वजह भी वाजिब है. 2022 में शिंदे की बगावत की वजह से ही शिवसेना में फूट पड़ी थी और उसके दो टुकड़े हुए. शिंदे ने बागी विधायकों को लेकर बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. एकनाथ शिंदे सीएम की कुर्सी पर बैठे, वहीं उद्धव अपनी पार्टी के नाम और निशान तक के लिए तरस गए. 

तीसरी सुर्खी - ड्राइविंग सीट पर एकनाथ शिंदे 

डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे बुधवार को विधान भवन परिसर में टेस्ला की नई-नवेली कार का ट्रायल लेते नजर आए. मुंबई में टेस्ला के शोरूम का एक दिन पहले ही सीएम फडणवीस ने उद्घाटन किया था. इसके अगले दिन शिंदे वाइट कलर की टेस्ला ईवी कार चलाते दिख गए. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे शिंदे की नई सियासी गाड़ी में सवारी की तरह देखा.

गौरतलब है कि पर्दे के पीछे से खबरें आती रही हैं कि सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम शिंदे के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कुछ समय पहले शिंदे फडणवीस की बुलाई बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहे थे. भाजपा की अगुआई में शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के साथ मिलकर सरकार बनाने के तीन महीने बाद ही सत्तारूढ़ महायुति में दरार की खबरें आने लगी थीं. एक बार तो फडणवीस को सफाई देनी पड़ी थी कि शिंदे ने अमित शाह से मेरी शिकायत नहीं की है. 

एकनाथ शिंदे के लिए इन के मायने 

ये कहने की बात नहीं कि अगर उद्धव एक बार फिर से बीजेपी से हाथ मिलाने को तैयार हो जाते हैं तो शिंदे के लिए राह आसान नहीं रहेगी. शिंदे और उद्धव के बीच दुश्मनी की वजह तो स्पष्ट है, लेकिन अगर महाराष्ट्र की सियासत ने वाकई करवट ली और उद्धव बीजेपी के पाले में चले गए, जिसकी संभावना वैसे तो कम ही दिखती है, तब शिंदे को अपनी राजनीति चलाने के लिए निश्चित ही अपने लिए नई सियासी गाड़ी की तलाश करनी पड़ सकती है. उनकी राजनीति की गाड़ी हिचकोले खा सकती है.
 

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