मणिपुर हिंसा के बाद म्यांमार भागे 212 लोगों को सेना लाई वापस, CM बीरेन सिंह ने किया शुक्रिया

म्यांमार से लौटे ये सभी लोग मैतेई समुदाय से हैं. सीएम ने कहा कि इन लोगों को घर लाने के लिए भारतीय सेना का बहुत-बहुत धन्यवाद.

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मणिपुर में मैतई आरक्षण विवाद को लेकर कई दिनों से हिंसा और तनाव का माहौल है.
इंफाल:

मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच हजारों लोग पड़ोसी राज्यों और पड़ोसी देश में मलायन कर चुके हैं. भारतीय सेना मणिपुर के सीमावर्ती शहर से म्यांमार गए 212 भारतीयों को सुरक्षित वापस ले आई है. मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इसके लिए भारतीय सेना का शुक्रिया अदा किया है.

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) ने शुक्रवार (18 अगस्त) को इस बारे में ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, "3 मई को जातीय हिंसा भड़कने पर मणिपुर के मोरेह शहर से पड़ोसी देश म्यांमार (Myanmar) भागने वाले 212 भारतीय सुरक्षित घर लौट आए हैं." एन बीरेन सिंह ने इन लोगों की वापसी के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया. 

म्यांमार से लौटे ये सभी लोग मैतेई समुदाय से हैं. सीएम ने कहा कि इन लोगों को घर लाने के लिए भारतीय सेना का बहुत-बहुत धन्यवाद. जीओसी पूर्वी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, जीओसी 3 कॉर्प, लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साही और 5 एआर के सीओ, कर्नल राहुल जैन का बहुत शुक्रिया. 

दरअसल, मणिपुर की राजधानी इंफाल से लगभग 110 किमी दूर स्थित मोरेह हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक था. मोरेह में कुकी, मैतेई और यहां तक कि तमिलों की मिश्रित आबादी रहती है. यहां अन्य समुदाय के भी लोग हैं. 

मुख्यमंत्री ने साथ ही ये भी कहा कि जातीय-संघर्ष से ग्रस्त राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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बता दें कि मणिपुर की कुल आबादी में मैतई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है, जो इंफाल घाटी में रहते हैं. जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और सैंकड़ों लोग बेघर हो गए हैं. 

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