गुवाहाटी HC ने असम सरकार को 100 गोरुखुती परिवारों के पुनर्वास का दिया आदेश

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 और 23 सितंबर, 2021 को असम के गोरुखुटी के दरपुर I, II और III गांवों में करीब 1200 से 1400 घरों को तोड़ दिया गया, जिससे 7000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए.

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स्थानीय लोगों के कड़े प्रतिरोध के बाद 23 सितंबर 2021 को पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई थी.
गुवाहाटी:

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार को ढालपुर के गोरुखुटी में एक अभियान के दौरान बेदखल किए गए 100 परिवारों को फिर से बसाने का आदेश दिया है. यह आदेश असम के विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया द्वारा दायर एक याचिका पर आया है. उन्हें 2021 में एक हिंसक घटना के बाद बेदखल कर दिया गया था. हिंसक घटना में पुलिस की गोलीबारी में एक लड़के सहित दो लोग मारे गए थे.

सितंबर 2021 में असम में डारंग जिला प्रशासन द्वारा गोरुखुटी के 100 परिवारों को बेदखल कर दिया गया था. "अवैध अतिक्रमणकारियों" के खिलाफ असम प्रशासन द्वारा चलाए गए एक बड़े अभियान के दौरान लगभग 700 परिवारों को बेदखल कर दिया गया था. इस बीच, असम सरकार कथित तौर पर पहले ही 600 विस्थापित परिवारों का पुनर्वास कर चुकी है. 

अब गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार से शेष 100 परिवारों को फिर से बसाने के लिए कहा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 और 23 सितंबर, 2021 को असम के गोरुखुटी के दरपुर I, II और III गांवों में करीब 1200 से 1400 घरों को तोड़ दिया गया, जिससे 7000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए. स्थानीय लोगों के कड़े प्रतिरोध के बाद 23 सितंबर 2021 को पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई थी. पुलिसकर्मियों समेत 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.

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अदालत ने कहा, "पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद यह साफ है कि लगभग 700 परिवारों को उनकी संबंधित भूमि से बेदखल कर दिया गया था. जिस भूमि से बेदखली की गई थी, उसके संबंध में कृषि फार्म स्थापित करने का एक कैबिनेट निर्णय भी है." कोर्ट ने कहा, "पीआईएल (जनहित याचिका) के अवलोकन के साथ-साथ याचिकाकर्ता के वकील की सुनवाई के बाद, कोई सामग्री या कोई आधार नहीं बताया जा सकता है जिससे अदालत किसी ऐसे निष्कर्ष पर पहुंच सके और कैबिनेट के फैसले में हस्तक्षेप हो सके." हाईकोर्ट ने कहा कि असम सरकार सिपाझार में एक कृषि फार्म/मॉडल परियोजना स्थापित करे.

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अदालत ने कहा, "विभागीय अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी में बताया गया है कि बीच लगभग 600 परिवारों को जमीन के वैकल्पिक भूखंड देकर पुनर्वास किया जा चुका है. शेष लगभग 100 परिवारों को पर्याप्त पुनर्वास प्रदान नहीं किया गया है." हाईकोर्ट ने कहा, "चूंकि निकाले गए लगभग 700 परिवारों में से 600 परिवारों का पहले ही पुनर्वास किया जा चुका है. ऐसे में हमारा विचार है कि इस जनहित याचिका में उन शेष लगभग 100 परिवारों के अलावा किसी और के विचार की आवश्यकता नहीं है."

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अदालत ने कहा, "हम यह भी प्रदान करते हैं कि ऐसा कोई आवेदन किए जाने की स्थिति में, उपायुक्त व्यक्तिगत आवेदकों से ऐसे आवेदन प्राप्त होने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर व्यक्तिगत तर्कपूर्ण आदेश पारित करेंगे."

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