राजस्थान:  रेगिस्तान में रातों रात तैयार कर दिए गए दो अस्पताल, कोविड के मरीजों का होगा इलाज

राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 41 % कोविड मरीज गांव में है. ऐसे में दूर दराज इलाक़ों में चिकित्सा सुविधाएं कैसी पहुंचाई जाये ये सबसे बड़ी चुनौती है.

राजस्थान:  रेगिस्तान में रातों रात तैयार कर दिए गए दो अस्पताल, कोविड के मरीजों का होगा इलाज

बाड़मेर में 48 घंटों में 2 अस्थायी अस्पताल बने.

बाड़मेर:

महानगरों के बाद अब ग्रामीण इलाक़ों में कोविड फैल रहा है. राजस्थान की बात करें तो राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 41 % कोविड मरीज गांव में है. ऐसे में दूर दराज इलाक़ों में चिकित्सा सुविधाएं कैसी पहुंचाई जाये ये सबसे बड़ी चुनौती है. लेकिन बाड़मेर के रेगिस्तान ने एक नयी मिसाल क़ायम की है. वहां 48 घंटों में 2 अस्थायी अस्पताल बना दिए. पश्चिमी राजतक्षण के बाड़मेर के बायतू में रातों-रात भामाशाहों ने वहां के विधायक के साथ मिल के दो अस्पताल तैयार कर दिए. ये अस्पताल बंकर में बनाये गए है यानी अस्थायी है. ये अस्पताल 2 जगह है, बाड़मेर के पास बायतू में जहाँ 100  बेड का अस्पताल है. इनमें 30 बेड में ऑक्सीजन की सुविधा है.  इसके अलावा भामरा में  25 बेड का अस्पताल है इसमें 2 बेड ऑक्सीजन वाले है.  

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उद्देश्य ये है की ग्रामीण इलाक़ों के मरीजों को प्राथमिक उपचार मिले. बायतू में  5 MMBS डॉक्टर और 7 नर्स है जबकि भामरा में 2 मेडिकल अफसर है. एक तरफ जहाँ मंत्री अपने क्षेत्र में जाने से डर रहे है, तो वहीं राजस्व मंत्री हरीश चौधरी लगातार बारमेर अपने क्षेत्र में है और वहां रेगिस्तान में खड़े रह के उन्होंने ये अस्थायी अस्पताल तैयार करवाए जो पूरे तरह से भामाशाहों के मदद से बना है. 

रेगिस्तान के बीच में रातों-रात खड़े हुए है ये दो कोविड सेंटर बारमेर से कुछ किलोमीटर दूर भामाशाहों की मदद से यहाँ कंटेनर में कोविड सेंटर बन गया है. बायतू में सौ बेड़ है जिसमें 30 ऑक्सीजन युक्त है और सम्भरा में 25 बेड है जिनमें से दो में ऑक्सीजन है और इस पहल के पीछे है यहाँ से विधायक हरीश चौधरी, लेकिन वो कहते है जन सहयोग से ही ये बना है. सरकार से एक रुपया भी नहीं लिया है

बायतू के विधायक हरीश चौधरी का कहना है कि  मैंने कुछ नहीं किया यहाँ के लोग और जन प्रतिनिधि उन्हें के मदद से ये साझा हुआ है. पहले ये रण का क्षेत्र था स्थानीय लोग ने यहाँ खूब योगदान दिया है जान सहयोग से हुआ है. सरकार का एक रुपये नहीं लगा है. सिर्फ मेडिकल स्टाफ जिला प्रशासन ने दिया है'

बायतू कोविड सेंटर के डॉक्टर जोगेश चौधरी का कहना है कि राजस्थान के ग्रामीण इलाक़ों में कोविड तेज़ी से फैल रहा है. 41% प्रतिशत केसेस अब ग्रामीण इलाक़ों से आ रहे है. ऐसी में दूर दराज़ इलाक़ों में चिकित्सा व्यवस्था पहुँचाना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. 

भामाशाह बंकर निर्माता किरी ग्रुप, ललित किरी का कहना है कि हमारे पास 100  बेड है, पहले 10 ऑक्सीजन बेड थे अब 16 हो गया है, 9 दिन में जिनको बालोतरा बाड़मेर में जगह नहीं मिल रही थी वो यहाँ आ रहे है. बंकर में बने इस अस्थायी अस्पताल में एयर कंडीशनिंग की सुविधा है. डॉक्टर्स के लिए भी रहने की व्यवस्था है.' " एक बंक हाउस है उसमें सब सुविधा है , ac फैसिलिटी है , सब सुविधा है 4 स्टार केटेगरी की."

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कोविड सेंटर में भर्ती मरीजों के लिए चाय नाश्ते से लेकर खाने की भी व्यवस्था की गयी है. रेगिस्तान के बीच में ये कोविड सेंटर, एक उदाहरण है कि जन सहयोग मिले तो इस मुश्किल घड़ी से निपटने के लिए सर्कार को भी हौसला मिल सकता है. 

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