अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का एक एयरक्राफ्ट मंगल ग्रह पर उड़ान भर रहा है. यह एक ऐसा हेलीकॉप्टर है जो अनजाने वातावरण में उड़ान भरने में सक्षम है. इस 1.8 किलोग्राम के हेलिकॉप्टर के इनजेनिटी (Ingenuity) कहा जाता है और इसका निकनेम "गिन्नी" है. यह नासा के प्रिजरवेंस रोवर का हिस्सा है जिसे 2020 में लॉन्च किया गया था और वह अब भी मंगल ग्रह पर सक्रिय है.
इस एयरक्राफ्ट को डिज़ाइन करने वाले व्यक्ति डॉ जे बॉब बलराम (Dr J Bob Balaram) हैं. बलराम एक भारतीय नागरिक हैं और वे वर्तमान में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) में कार्यरत हैं. आईआईटी मद्रास में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले डॉ बलराम ने कहा, "इनजेनिटी हेलीकॉप्टर बनाना एक चुनौती थी. किसी को भी इस पर विश्वास नहीं था."
इनजेनिटी टेक्नालॉजी का चमत्कार है. इसका वजन मात्र 1.8 किलोग्राम है. यह अल्ट्रा-लाइट वेट कार्बन फाइबर से बना है और केवल आधा मीटर लंबा है. मंगल ग्रह पर हवा का घनत्व पृथ्वी से 27,000 मीटर ऊपर हवा के घनत्व जैसा है. यह ऊंचाई का वह स्तर है जिस पर मौजूदा हेलीकॉप्टरों कभी नहीं पहुंचे.
इनजेनिटी को उड़ाने के लिए ब्लेड 2400 और 2900 आरपीएम (RPM) पर घूमते हैं. यह गति पृथ्वी पर किसी भी हेलीकॉप्टर की ब्लेडों की गति की तुलना में लगभग 10 गुना तेज है.
इनजेनिटी पहली बार किसी दूसरी दुनिया में संचालित, नियंत्रित उड़ान का परीक्षण करने का एक प्रकार का प्रयोग है.
प्रिजरवेंस रोवर पर सवार होकर यह हेलिकॉप्टर 18 फरवरी, 2021 को स्टोववे की तरह मंगल की सतह पर पहुंच गया. इनजेनिटी हेलीकॉप्टर को 3 अप्रैल, 2021 को सतह पर तैनात किया गया था.
एक बार जब रोवर एक उपयुक्त "एयरफील्ड" लोकेशन पर पहुंच गया तो उसने सतह पर इनजेनिटी जारी कर दी ताकि यह 30-मार्टियन-डे की एक्सपेरिमेंटल विंडो पर टेस्ट फ्लाइट्स की एक सीरीज कर सके, भारत के चंद्रयान रोवर प्रज्ञान के समान.
डॉ बलराम ने भारत के ऐतिहासिक चंद्र मिशन की जोरदार सराहना की. उन्होंने कहा, "विक्रम लैंडिंग ने रोंगटे खड़े कर दिए, इसरो को अपने लक्ष्य हासिल करने चाहिए."
उनके हेलीकॉप्टर ने तीन सफल उड़ानों के बाद अपना टेक्नालॉजी डिमास्ट्रेशन पूरा कर लिया है. इनजेनिटी ने 19 अप्रैल, 2021 को अपनी पहली उड़ान भरी थी. वह जमीन से करीब तीन मीटर ऊपर उठा, थोड़ी देर के लिए हवा में घूमा और एक टर्न पूरा करके उतरा.
मंगल के बेहद थिन एटमॉस्फियर में नियंत्रित उड़ान संचालित करना एक बड़ा मील का पत्थर है. यह पृथ्वी से परे दुनिया की पहली उड़ान भी थी.
बाद में हेलिकॉप्टर ने क्रमश: अधिक दूरी और अधिक ऊंचाई की अतिरिक्त प्रायोगिक उड़ानें सफलतापूर्वक पूरी कीं. इसने अब तक मंगल ग्रह के थिन एटमॉस्फियर में 64 उड़ानें भरी हैं. उन्होंने कहा, फ्लाइंग इनजेनिटी वास्तव में दूसरे ग्रह पर 'राइट ब्रदर्स मोमेंट' था.
अगले साल के शुरुआती दिनों में एनआईएसएआर (NISAR) नाम का एक अर्थ इमेजिंग उपग्रह श्रीहरिकोटा से उड़ाया जाएगा. इसे भारत और अमेरिका ने संयुक्त रूप से बनाया है. यह दोनों देशों की लगातार मजबूत होती संयुक्त अंतरिक्ष पहल का हिस्सा होगा.
भारतीय छात्रों को अंतरिक्ष के क्षेत्र में मदद करना चाहते हैं डॉ बलरामडॉ बलराम मृदुभाषी हैं. उनका कहना है कि वे शीघ्र ही नासा से रिटायर हो रहे हैं. अब वह भारतीय छात्रों को अंतरिक्ष के आश्चर्यों से आकर्षित होने में मदद करना चाहते हैं और भारत में आउटरीच के लिए और अधिक योगदान देने की उम्मीद करते हैं.
उन्होंने कहा कि आईआईटी मद्रास में उनके व्यावहारिक प्रशिक्षण ने इनजेनिटी उड़ान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कहा, सचमुच उनके जैसे सैकड़ों छात्र हैं जो आगे बढ़ सकते हैं और भारत को गौरवान्वित कर सकते हैं.